बिक्रमगंज. बिक्रमगंज प्रखंड के शैक्षिक परिदृश्य में सोमवार का दिन बदलाव का संकेत लेकर आया, जब 58 प्राथमिक विद्यालयों में चयनित प्रधान शिक्षकों ने अपने-अपने विद्यालयों में योगदान देना शुरू कर दिया. वर्षों से प्रधान शिक्षक विहीन इन विद्यालयों में अब स्थायित्व और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद बंध गयी है. वहीं, जहां एक ओर ये नियुक्तियां शिक्षा में नयी ऊर्जा का संचार कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ पुराने शिक्षकों के बीच उत्पन्न असमंजस और असंतोष ने इस बदलाव को थोड़ा पेचीदा बना दिया है. अब देखना यह है कि प्रशासन इस समन्वय को कैसे साधता है और बच्चों के भविष्य की दिशा में यह कदम कितना प्रभावी सिद्ध होता है. सोमवार को निर्देश के अनुसार योगदान को पहुंचे प्रधान शिक्षकों ने भावनाओं से भरा पहला दिन प्रभात खबर के साथ साझा किया. प्राथमिक उर्दू विद्यालय जोन्ही में नियुक्त हुए प्रधान शिक्षक संजय तिवारी ने बताया कि उनका लक्ष्य न केवल बच्चों को बुनियादी शिक्षा देना है, बल्कि उन्हें इस लायक बनाना है कि वे सिमुरतल्ला, नवोदय, सैनिक स्कूल जैसे प्रतिष्ठित आवासीय विद्यालयों में अपनी जगह बना सकें. उन्होंने कहा इस दिशा में आज से ही कार्य शुरू कर दिया गया है. सरकार ने जिस उद्देश्य से हमें चयनित किया है, उस पर खरा उतरना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है. इसी तरह, प्राथमिक कन्या विद्यालय नोनहर में योगदान करने वाले अभिमन्यु भाई पटेल ने कहा कि वह बच्चों को कक्षा पांच तक तकनीकी शिक्षा से भी जोड़ने की कोशिश करेंगे, जिससे वे भविष्य की तकनीकी दुनिया में आत्मनिर्भर बन सकें. वहीं, कन्या प्राथमिक विद्यालय धारूपुर में पदभार ग्रहण करने वाले आशीष पाठक ने कहा कि शहरी क्षेत्रों के बच्चों को निजी स्कूलों जैसा शैक्षणिक माहौल देना होगा. उन्होंने कहा, इन बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं, केवल सही मार्गदर्शन की जरूरत है. मेरी कोशिश होगी कि वह माहौल इन्हें मिले जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके. नगर के 27 वार्डोंं में महज पांच प्राथमिक विद्यालय एक तरफ शिक्षा में इस नयी क्रांति से बेहतर बदलाव की संभावना व्यक्त की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ बिक्रमगंज नगर क्षेत्र में विद्यालयों की संख्या को लेकर चिंता भी स्पष्ट हुई. बिक्रमगंज नगर पर्षद के 27 वार्डों में मात्र पांच प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं. इनमें दो विद्यालय धनगाई में, एक थाना चौक से गुलजारबाग तक, एक तेंदुनी और एक धारूपुर में स्थित है. लोगों का मानना है कि यह संख्या जनसंख्या के हिसाब से बेहद कम है और नगर क्षेत्र को और अधिक विद्यालयों की जरूरत है. नव नियुक्तियों से कई के चेहरों पर मायूसी सरकार की यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में निश्चित ही बदलाव की ओर इशारा करती है, लेकिन कुछ शिक्षकों के बीच असंतोष भी गहराया है. प्रखंड के 58 में से छह विद्यालयों में पहले से ही नियमित या 34540 कोटि के शिक्षक प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत थे. अब नये प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति से उन्हें अपने से कनिष्ठ और कम वेतनमान वाले शिक्षकों के अधीन काम करना होगा. एक ऐसे ही शिक्षक ने कहा, सरकार ने हमें अपमानित करने का काम किया है. हम इस फैसले के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे. हालांकि, सोमवार को उन्होंने प्रभार सौंपा, लेकिन उनके चेहरे की मायूसी ने अंदरूनी असंतोष को उजागर कर दिया.
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