मशाल में पसीना बहाने वाले बच्चों का नास्ता खा गया शिक्षा विभाग

विद्यार्थियों को खेल के दौरान न मिला पानी और ना ही मेडल व सर्टिफिकेट

By ANURAG SHARAN | July 9, 2025 5:57 PM
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मशाल में पसीना बहाने वाले बच्चों का नास्ता खा गया शिक्षा विभागविद्यार्थियों को खेल के दौरान न मिला पानी और ना ही मेडल व सर्टिफिकेट

मशाल खेल प्रतियोगिता के लिए विभाग ने प्रखंड शिक्षा कार्यालय को आवंटित किया था 2.30 लाख रुपयेफोटो-15- प्रतियोगिता के दौरान नास्ता और पानी से वंचित रहे नरवर भगीरथा सीआरसी के ये खिलाड़ी

प्रतिनिधि, कोचस.

पहले चार दिवसीय मशाल प्रतियोगिता को दो दिनों में ही सिमटा दिया. कुल 16 काॅम्प्लेक्स रिसोर्स सेंटर (सीआरसी) के 1195 प्रतिभागी बच्चे प्रतियोगिता में शामिल हुए, जिन्हें न पानी मिला और ना ही नास्ता. सबसे बड़ी बात कि प्रतियोगिता का मेडल और सर्टिफिकेट भी 921 प्रतिभागियों को नहीं दिया गया. शिक्षक और बच्चे जब इसका विरोध करने लगे, तो स्कूल जांच की धमकी दी जाने लगी. डरे सहमे शिक्षक अपने स्कूल के बच्चों को अपने पॉकेट से नास्ता कराया और चापाकल पर पानी पिलाया और छात्रों के विरोध को दबा दिया. पर, धीरे-धीरे मामला खुलने लगा. बुधवार को कुछ शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मशाल प्रतियोगिता के लिए करीब 2.30 लाख रुपये आया था, जिसमें से एक लाख रुपये प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न तरह की तैयारियों पर खर्च करना था और 1.30 लाख रुपये बच्चों के नास्ता-पानी पर. लेकिन, हमारे बच्चों को नास्ता-पानी नहीं मिला. इससे भी बड़ी बात कि 1195 में से मात्र 274 खिलाड़ियों को वह भी दूसरे दिन की प्रतियोगिता कबड्डी, फुटबॉल, साइकिलिंग, वॉलीबाॅल आदि खेलों का मेडल और सर्टिफिकेट देकर किसी तरह औपचारिकता पूरी की गयी. शिक्षकों ने बताया कि बीइओ ने हमें बताया था कि खेल पर खर्च के लिए कोई राशि नहीं आयी है. बीइओ के कहने के बाद हम लोग अपने पॉकेट से खर्च कर बच्चों को नास्ता-पानी दिये हैं. देखिए, हमारे बच्चों को मेडल और सर्टिफिकेट भी मिलता है या नहीं.

इस संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अरविंद कुमार ने पहले तो सीधे तौर पर किसी तरह की जानकारी देने के इंकार किया. फिर, कहा कि कुछ शिक्षक राजनीति के तहत खेल प्रतियोगिता को बाधित करना चाह रहे थे. उनका मकसद पूरा नहीं हो सका. वैसे शिक्षक ही कुव्यवस्था का आरोप लगा रहे हैं. बीइओ ने मेडल, सर्टिफिकेट और नास्ता-पानी नहीं दिये जाने के बाबत बात करने से इंकार कर दिया.

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