नारायण कृषि विज्ञान संस्थान की वैज्ञानिक ने बताये मछली पालकों के लिए गर्मी में बचाव और उत्पादन बढ़ाने के उपायतालाब की गहराई, ऑक्सीजन संतुलन और आहार प्रबंधन से गर्मियों में भी मछली पालन बन सकता है लाभदायकफोटो-12- मछली पालन में लगे बच्चे.
ऑक्सीजन की कमी है सबसे बड़ी चुनौती
गर्मी में खासकर सुबह के समय पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो जाती है. इससे मछलियों को सांस लेने में कठिनाई होती है. ऐसे में एरेटर या पैडल व्हील जैसे उपकरणों का सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद उपयोग करना चाहिए. यदि ये उपकरण उपलब्ध नहीं हों, तो पानी को हिलाना, ताजा पानी का प्रवाह बनाना, या ऑक्सीजन टैबलेट का प्रयोग करना जरूरी हो जाता है. सतह पर मछलियों को मुंह से सांस लेते देखें, तो समझें खतरे की घंटी बज चुकी है. इस स्थिति में तुरंत आहार और खाद का प्रयोग बंद करें और एरेशन शुरू करें.गर्मी में मछलियों को लगती है भूख कम, पर पोषण जरूरी
जल का रंग देता है संकेत
उन्होंने बताया कि यदि तालाब का पानी हरा, भूरा या लाल हो जाए तो खाद का प्रयोग तुरंत रोक दें. साथ ही जरूरत पड़ने पर फिटकरी, जिप्सम का प्रयोग कर पानी को संतुलित करें. गर्मी में मछलियां रोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं. इसलिए गतिविधियों और रंग-रूप की नियमित निगरानी जरूरी है. चूना, पोटेशियम परमैंगनेट या सिफैक्स जैसे रसायनों का सावधानी से उपयोग किया जा सकता है.जल प्रबंधन से मिल सकता है दोहरा लाभ
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