बिक्रमगंज. नववर्ष का आगमन केवल तिथियों का बदलाव नहीं, बल्कि अपने भीतर नवीनीकरण का अवसर है. जिस प्रकार पेड़-पौधे नये पत्ते धारण कर लेते हैं, उसी प्रकार हमें भी अपने भीतर नवीनीकरण की आवश्यकता है. हमारी संस्कृति महान है. लेकिन, पुरानी होने का अर्थ यह नहीं कि वह वृद्ध हो गयी है. पुरानी का अर्थ समझदारी और परिपक्वता है. यह बात बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बिक्रमगंज के द डीपीएस स्कूल में मंगलवार को आयोजित भारतीय नववर्ष उत्सव समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कहीं. उन्होंने भारतीय ज्ञान, संस्कृति और राजनीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार गंगा अपने भीतर प्रवाहित होने वाली गंदगी को स्वतः शुद्ध कर लेती है. वैसे ही हमारी सभ्यता और संस्कृति स्वयं को नवीनीकृत करती रही है. भारत एक चैतन्य राष्ट्र है, जो पतन के कगार पर पहुंचने के बाद भी अपनी सांस्कृतिक चेतना को बनाये रखता है.
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