सासाराम ऑफिस. सजा से स्वरोजगार की ओर बढ़ते कदम अब सासाराम मंडलकारा में हकीकत बन रहा हैं. बंदियों को भविष्य में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां दस दिवसीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि जब बंदी जेल से बाहर निकलें, तो उनके पास एक नयी पहचान बनाने का हुनर हो. इसी को देखते हुए दस दिवसीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 35 बंदी शामिल हो रहे हैं. प्रशिक्षण के दौरान कैदियों को मछली पालन विशेषज्ञ तालिब खान ने तालाब की खुदाई, मिट्टी की जांच, मछली की नस्लों की पहचान, पोषण, औषधि प्रबंधन और व्यावसायिक रणनीतियों का प्रशिक्षण दिया. इस पहल में बैंकिंग सहयोग भी जोड़ा गया है, ताकि प्रशिक्षण के बाद कैदी स्वरोजगार शुरू कर सकें. पीएनबी आरसेटी के प्रतिनिधि विकास कुमार व प्रशिक्षण समन्वयक एजाज अहमद ने बंदियों को बैंक ऋण प्रक्रिया, स्वरोजगार योजनाओं और स्टार्टअप सहायता की जानकारी दी. उनका कहना है कि व्यावसायिक योजना और वित्तीय समझ अपराध की पुनरावृत्ति को रोक सकती है. अन्य ने कहा कि सासाराम मंडल कारा अब केवल जेल नहीं, बल्कि परिवर्तन की प्रयोगशाला बन गयी है. यह पहल उम्मीद जगाती है कि भविष्य में कैदी मछली पालन के सफल उद्यमी बनकर समाज में नयी पहचान बनायेंगे. प्रशिक्षण के दौरान जेल उपाधीक्षक कृष्ण कुमार झा, सहायक अधीक्षक सुरेश प्रसाद, रंजन कुमार, नंद मोहन सिंह, रागिनी कुमारी, लिपिक सरविंद ठाकुर, राजेश वर्मा, गुड्डू गिरि और सुकेश कुमार की सक्रिय भूमिका रही है. …..35 बंदियों को मिल रहा नया हुनर व बैंकिंग सहयोग
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