Sasaram news. किशोरों में बढ़ रही अपराध की प्रवृत्ति, नजर रखें अभिभावक
Sasaram news.जिले में दुष्कर्म, अपहरण, ब्लैकमेलिंग व चोरी की घटनाओं में किशोरों (नाबालिग) की संलिप्तता बढ़ती जा रही है. इस तरह के संगीन कांडों में किशोरों की संलिप्तता से अपराध पर लगाम लगाने में पुलिस की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं.
By JITENDRA KUMAR | April 2, 2025 10:57 PM
पुनीत कुमार पांडेय/सासाराम ग्रामीण. जिले में दुष्कर्म, अपहरण, ब्लैकमेलिंग व चोरी की घटनाओं में किशोरों (नाबालिग) की संलिप्तता बढ़ती जा रही है. इस तरह के संगीन कांडों में किशोरों की संलिप्तता से अपराध पर लगाम लगाने में पुलिस की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. किसी सभ्य समाज के लिए यह निश्चित रूप से चिंताजनक स्थिति है. लेकिन, इससे भी अधिक भयावह है, अपराध के दलदल में ऐसे लोगों का फंसना जो न तो पेशेवर अपराधी हैं और न ही अपराध करना उनके लिए कोई मजबूरी है. वे केवल अपने स्टेटस की तुष्टि या अनावश्यक जिद के कारण ऐसे संगीन अपराध कर जा रहे हैं. जो न केवल उनके पूरे जीवन को कलंकित कर दे रहा है, बल्कि समाज और परिवार को भी शर्मसार कर रहा है और समाज ऐसी घटनाओं के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा दे रहा है. इस गंभीर विषय पर समाज को सामने आना होगा. यह समाज का ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए घातक हो सकता है.
केस नंबर एक
केस नंबर दो
केस नंबर तीन
23 मार्च 2025 को सासाराम मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव में एक किशोरी के साथ दुष्कर्म का आरोप चार लोगों पर लगा था. इनमें तीन नाबालिग थे. इन नाबालिगों को पुलिस ने विधि विरुद्ध माना है. हालांकि, प्राथमिकी दर्ज हुई है, पर ये नाबालिग हैं.
केस नंबर चार
27 मार्च 2025 को करवंदिया थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव से एक युवती को भगाने का मामला हुआ था. 31 मार्च को युवती को पुलिस ने पटना से बरामद कर लिया. इस कांड में भी दो नाबालिगों का हाथ था, जिन्हें पुलिस ने पकड़ा था.
किशोरों की स्थिति पर लोगों के सुझाव
प्रो जवाहर प्रसाद सिंह, पूर्व प्राचार्य.-किसी तरह की घटना में किशोरों का हाथ होना समाज के लिए चिंता का विषय है. ये घटनाएं समाज को शर्मसार कर रही हैं. आर्थिक युग में बच्चों से अभिभावकों की दूरी परेशानियों का कारण बनती जा रही है. बच्चे अपने दोस्तों के साथ घूमने निकलते हैं या फिर अपराधी के साथ उन्हें पता ही नहीं होता है. जब कोई घटना घटित हो जाती है, तो उसके बाद अभिभावक को पता चलता है. अपने कर्तव्य बोध के कारण वे अपने बच्चे को निर्दोष साबित करने में जुट जाते हैं. जो सही नहीं है. यह गलती परिवार की ही होती है. जो अपने बच्चों पर नजर नहीं रखते. उनके आने जाने का उन्हें पता नहीं होता. वे उन्हें रोकते-टोकते नहीं है. जिसका नतीजा तब सामने आता है, जब उनका बच्चा संगीन अपराध के जुर्म में पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. इस पर प्रत्येक परिवार और पूरे समाज को विचार करने की आवश्यकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
दिलीप कुमार, एसडीपीओ-1, सासाराम.
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