करगहर. पीड़ित पक्ष द्वारा थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में पारदर्शिता बनाये रखने को लेकर पुलिस विभाग ने सभी एफआइआर को ऑनलाइन कर दिया है. एफआइआर में वादी पक्ष का मोबाइल नंबर भी लिया जा रहा है, ताकि अगर केस के अनुसंधानकर्ता में किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त करनी हो, तो वह उससे अविलंब संपर्क कर सके. लेकिन, अब वादी के इन्हीं मोबाइल नंबरों का उपयोग साइबर अपराधी करने लगे हैं. साइबर अपराधी ऑनलाइन एफआइआर की कॉपी में दिये गये मोबाइल नंबर पर पुलिस अधिकारी बन कर फोन कर वादी से केस में मदद करने के नाम पर उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं. इसी तरह के कई मामले करगहर थाना क्षेत्र में प्रकाश में आये हैं. गत दिनों करगहर थाना क्षेत्र के महुली गांव के रहने वाले एक वादी से केस का अनुसंधानकर्ता बनकर चार हजार रुपये साइबर अपराधियों ने अपने खाते में डलवा लिया. जब वादी ने थाना आकर पूछा कि मेरी लापता बच्ची आपको मिल गयी है, तो आप उसे कहा रखे हैं. इस पर केस के अनुसंधानकर्ता ने कहा कि आपकी बच्ची मिल गयी, यह आपको किसने बता दिया. इस पर वादी ने उक्त मोबाइल नंबर को दिखाते हुए कहा कि इसी नंबर से आपका नाम लेते हुए मुझे बताया गया कि आपकी बच्ची मिल गयी है. फोन करने वाले व्यक्ति ने इसी नंबर पर मुझे चार हजार रुपये भी डलवा लिये हैं. इसी तरह के दर्जनों मामले अब तक प्रकाश में आ चुके हैं. इसमें वादियों से पुलिस पदाधिकारी बन कर पैसों की मांग की जा रही है. रविवार को धनेज गांव निवासी एक वादी से ठगों ने 8349543692 नंबर से फोन पैसों की मांग की. वादी की शिकायत पर जब संबंधित पुलिस अधिकारी ने इस नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया, तो मोबाइल नंबर बंद आ रहा है.
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