सियासत. राज्यस्तरीय कमेटी की बैठक में पार्टी की मजबूती पर हुई बात24 मई को प्रधानमंत्री के आगमन पर स्कीम वर्कर्स न्यूनतम मानदेय की मांग को लेकर पार्टी करेगी प्रदर्शन
फोटो- भाकपा माले की राज्यस्तरीय बैठक में शामिल नेता.
भाकपा-माले की राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक रविवार को संपन्न हो गयी. बैठक काराकाट विधायक अरुण सिंह की अध्यक्षता में बिक्रमगंज में हुई. बैठक के समापन के बाद आयोजित प्रेसवार्ता में पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि बिहार की डबल इंजन सरकार वास्तव में डबल बुलडोजर सरकार बन चुकी है. जनता इससे उकता चुकी है. अब बदलाव चाहती है. उन्होंने कहा कि भाकपा-माले इस सरकार के खिलाफ राजनीतिक और जनस्तरीय व्यापक अभियान छेड़ेगी. राज्य स्तर पर महागठबंधन की समन्वय समिति बन चुकी है. जल्द ही जिला व प्रखंड स्तर तक इसका विस्तार होगा. उन्होंने कहा कि बैठक में विधानसभा चुनाव की रणनीति, संगठनात्मक मजबूती, जन आंदोलनों की दिशा और विपक्षी एकता पर चर्चा की गयी है. तीन मई को वक्फ संशोधन कानून की वापसी की मांग को लेकर राज्यव्यापी प्रदर्शन होगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का महिला संवाद धोखा है. हमारी पार्टी महिलाओं की असली समस्याओं पर महिला अदालत आयोजित करेगी. साथ ही 24 मई को प्रधानमंत्री के आगमन पर स्कीम वर्कर्स न्यूनतम मानदेय की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे. बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी हर जिले में संगठनात्मक ताकत बढ़ायेगी और चुनाव पूर्व जन आंदोलनों को तेज करेगी. 23 अप्रैल से 10 मई तक ‘साझी शहादत-साझी विरासत’ की सुरक्षा का संकल्प अभियान चलाया जायेगा. पार्टी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा की लड़ाई है. बैठक में आरा सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट सांसद राजाराम सिंह, डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, अगिआंव विधायक राजीव रंजन, घोषी विधायक रामबली यादव, अरवल विधायक महानंद सिंह, सिकटा विधायक बीरेंद्र गुप्ता, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा, पूर्व विधायक मनोज मंजिल, पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह, एमएलसी शशि यादव, मीना तिवारी और पोलित ब्यूरो सदस्य अमरजीत व कुणाल और ताराढी के राजू यादव के अलावा राज्यस्तरीय कई नेता शामिल थे.
पार्टी के नेताओं ने रखी अपनी बात
काराकाट सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान की आत्मा पर हमला है. नीतीश कुमार जनता के भरोसे पर खरे नहीं उतरे हैं. बिहार को नये नेतृत्व की ज़रूरत है. उन्होंने लेबर कोड, कृषि नीति और सूचना के अधिकार में बदलाव को लोकतंत्र विरोधी बताया. आरा सांसद सुदामा प्रसाद ने कहा कि छोटे व्यापारियों और सहारा जैसे घोटालों में फंसे निवेशकों के मुद्दे पर माले ने संसद में आवाज उठायी. इसके बाद कई निवेशकों को पैसा वापस मिला. उन्होंने कहा कि दो मई को सहारा निवेशकों और तीन मई को छोटे व्यवसायियों की बैठक पटना में आयोजित की जायेगी. महिला मोर्चा प्रभारी मीना तिवारी ने कहा कि भाजपा-जदयू सरकार के 20 वर्षों में बिहार शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में पिछड़ गया है. महिलाओं को मात्र 400 रुपये पेंशन मिलता है. स्कूल बंद किए जा रहे हैं. ब्लॉकों में महिला कॉलेज तक नहीं खोले गये. उन्होंने कहा, “सरकार को अब सबक सिखाना जरूरी है. स्कीम वर्कर्स संगठन के प्रभारी शशि यादव ने कहा कि आगामी 24 अप्रैल को पूरे राज्य में आशा, आंगनबाड़ी और रसोइया कार्यकर्ता प्रधानमंत्री के सामने न्यूनतम मानदेय की मांग उठाएंगी. साथ ही 20 मई को ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ऐतिहासिक हड़ताल होगी.
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