भाकपा माले ने श्रद्धांजलि सभा का किया आयोजन, वक्ताओं ने रखे अपने विचार फोटो-20- श्रद्धांजलि सभा में शामिल भाकपा माले के सदस्य व अन्य. प्रतिनिधि, सासाराम ऑफिस नक्सलबाड़ी का जनविद्रोह बंगाल की चुनी हुई सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ था. यह विद्रोह भूमि सुधार, जमींदारी उन्मूलन व सबको काम के अधिकार की मांग पर आधारित था. कॉमरेड चारु मजूमदार, कानू सान्याल, खोखन मजूमदार, जंगल संथाल और शांति मुंडा की अगुवाई में यह आंदोलन खड़ा हुआ और धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. इस नक्सलबाड़ी की आग अब भी जल रही है. ये बातें भाकपा-माले के जिला सचिव अशोक बैठा ने रविवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) के तत्वावधान में नक्सलबाड़ी दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कहीं. उन्होंने कहा कि बंगाल की सरकार व केंद्र सरकार ने मिलकर आंदोलन को कुचलने के लिए दमन का तांडव मचाया. जनता की हत्या, जेल व पुलिसिया पिटाई की गयी, लेकिन अंततः सरकार को भूमि सुधार कानून लागू करना पड़ा और भूमिहीनों को जमीन का पट्टा देना पड़ा. बिहार समेत अन्य राज्यों में भी इसी डर से जमींदारी उन्मूलन और भूमि वितरण तेज हुआ. उन्होंने कहा कि नक्सलबाड़ी जनविद्रोह भारत की जनता की मुक्ति की दिशा में एक मील का पत्थर है. इसने संशोधनवादी और अति वामपंथी दोनों भटकावों को उजागर किया. आज भी भारत की सरकार साम्राज्यवाद, सामंतवाद और पूंजीवाद के गठजोड़ में आम जनता का शोषण कर रही है. सरकारी संपत्ति बेची जा रही है, नौजवानों का शोषण हो रहा है और महंगाई-बेरोजगारी चरम पर है. वहीं श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे राज्य कमेटी सदस्य छात्र नेता राहुल दुसाध ने नारा लगाते हुए कहा कि जब-जब जुल्मी जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से चप्पा चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से. सभा में बंगाल भाकपा माले की वरिष्ठ नेत्री और नक्सलबाड़ी आंदोलन की साक्षी शांति मुंडा को भी याद किया गया. सभा में, भगत सिंह छात्र नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष सोनू दबंग, रंजन बैठा, नागेश्वर बैठा, सुधीर पासवान, अरुण पासवान, सुनील पासवान, दानी पासवान, गब्बर पासवान, राजेश सिंह, मनोज सिंह, जमुना सरोज, रितिक, शत्रुघ्न, प्रमोद महतो, छोटू पासवान, राजेश पासवान, रवि चंद्रवंशी, श्यामसुंदर पाल, धर्मेंद्र बैठा सहित अन्य लोग मौजूद थे.
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