लकड़ी या पत्थर से प्रहार करने पर लोहे या पीतल के बजने जैसी निकलती है आवाज वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न होने या अन्य किसी खुशी के मौके पर महिलाएं करती हैं पूजा फोटो-12-कुसमी पहाडी पर स्थित वनदेवी के मंदिर में स्थित पत्थर. रजनीकांत पांडेय, करगहर जिले के मैदानी क्षेत्र में एक ऐसी पहाड़ी भी है, जिसके पत्थर धातु की तरह आवाज करते हैं. जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर खेतों के बीच एक हजार वर्ग मीटर में पहाड़ के कारण ही गांव का नाम पहाड़ी पड़ा है. गांव के लोगों ने पहाड़ी का नाम कुसमी रखा है. इसी कुसमी पहाड़ी पर वनदेवी का मंदिर स्थित है. मंदिर के समीप कई ऐसे पत्थर हैं, जो धातु की तरह आवाज करते हैं. इन पत्थरों पर लकड़ी या पत्थर से प्रहार करने पर लोहे या पीतल के बजने जैसी आवाज निकलती है. मंदिर में आने-जाने वाले श्रद्धालु इन पत्थरों की आवाज सुनना शुभ मानते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से देवी उनकी मुरादें पूरी करती हैं. परंपरा के अनुसार, वर्षो से ज्येष्ठ नवरात्र में यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जहां काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. पहाड़ी गांव के चितरंजन सिंह, गौरीशंकर सिंह, रामेश्वर सिंह, राम बदन सिंह, रामप्यारे सिंह, अयोध्या सिंह, विजय सिंह व अजय सिंह आदि ने बताया कि कुसमी पहाड़ी पर पत्थरों के बीच वनदेवी का मंदिर काफी प्राचीन है. यहां किसी घर में वैवाहिक कार्यक्रम संपन्न होने या अन्य किसी खुशी के मौके पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी से महिलाएं पूजा-अर्चना करती हैं. पूजा के दौरान देवी को प्रसन्न करने के लिए पत्थरों पर लकड़ी से प्रहार करती हैं और उससे आवाज निकाल पर महिलाएं संतुष्ट होती हैं कि मां ने पूजा स्वीकार कर ली. ग्रामीणों की मानें, तो पहाड़ी और आस-पास पहले विशाल जंगल था. पेड़ों की कटाई से क्षेत्र वीरान हो गया. तब मां वनदेवी प्रकट हुई थी और पेड़ काटने वालों का संहार कर दी थी. तब से वन देवी की पूजा होने लगी. यहां कोई भी वृक्षों को नहीं काटता. इस संबंध में पुरातात्विक शोधकर्ता डॉ श्याम सुंदर तिवारी ने ने कहा कि कुसमी पहाड़ी के पत्थरों में लौह अयस्क की अधिकता है, जिसके कारण पत्थरों से आवाज आती है. यह सही है कि पूरी पहाड़ी में कुछ चुनिंदा पत्थरों से ही आवाजें आती हैं, जो आस्था को बल देती हैं.
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