संस्कृत शिक्षा में गूंजेगी गीता और रामचरितमानस की वाणी

SASARAM NEWS.बिहार में संस्कृत शिक्षा को नई दिशा देने की पहल शुरू हो चुकी है. अब राज्य के संस्कृत विद्यालयों में रामचरितमानस, भागवत पुराण और भगवद्गीता का पाठ कराया जायेगा. यह केवल भाषा नहीं, बल्कि संस्कृति, संस्कार और आत्मिक चेतना से जुड़ी शिक्षा होगी.

By Vikash Kumar | July 26, 2025 8:59 PM
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बिहार में संस्कार और संस्कृति से जुड़ा नया पाठ्यक्रम तैयार

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय झा ने की घोषणा

प्रतिनिधि, बिक्रमगंज.

बिहार में संस्कृत शिक्षा को नई दिशा देने की पहल शुरू हो चुकी है. अब राज्य के संस्कृत विद्यालयों में रामचरितमानस, भागवत पुराण और भगवद्गीता का पाठ कराया जायेगा. यह केवल भाषा नहीं, बल्कि संस्कृति, संस्कार और आत्मिक चेतना से जुड़ी शिक्षा होगी. यह घोषणा बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय झा ने बिक्रमगंज में आयोजित एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन में की. पूर्व विधायक राजेश्वर राज के आवास पर आयोजित इस बैठक को संबोधित करते हुए मृत्युंजय झा ने कहा कि राज्य सरकार ने 36 वर्षों बाद संस्कृत बोर्ड का पुनर्गठन किया है और उन्हें अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी है. उन्होंने बताया कि इस नवगठित बोर्ड में रोहतास से विधान पार्षद निवेदिता सिंह को सदस्य बनाया गया है, जो पूरे शाहाबाद क्षेत्र के लिए गर्व की बात है.उन्होंने कहा, “संस्कृत केवल विषय नहीं है, यह भारत की आत्मा है. अब इसे आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर मजबूती देने का कार्य शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि अध्यक्ष बनने के महज डेढ़ महीने के भीतर ही बोर्ड की वेबसाइट, पोर्टल और समस्त प्रक्रियाएं ऑनलाइन करने की दिशा में काम आरंभ हो चुका है. अब किसी विद्यालय से मध्यमा का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाना संभव नहीं होगा. उन्होंने पारदर्शिता और गुणवत्ता को प्राथमिकता बताते हुए कहा कि संस्कृत शिक्षा को सम्मानजनक स्तर पर ले जाना उनका लक्ष्य है. कार्यक्रम में पूर्व विधायक राजेश्वर राज ने सभी अतिथियों का अंगवस्त्र देकर स्वागत किया. इस अवसर पर प्रमुख रूप से एमएलसी निवेदिता सिंह, शैलेंद्र ओझा, एमएस गंधा, पूनम सिंह, रितेश राज, जमशेद अख्तर, अजीत सिंह, बीरेंद्र चौधरी, आशुतोष सिंह, रामनारायण चंद्रवंशी, दिनेश चंद्रवंशी, उमेश कुशवाहा, गौतम तिवारी, रमाशंकर सिंह, सुरेश गुप्ता, धनंजय सिंह, बीरेंद्र कुशवाहा, जयशंकर पटेल, विजय राम, सुनील सिंह, लवजी सिंह, राकेश पांडेय, ललित मोहन सिंह और बिनोद मिश्रा सहित अनेक एनडीए कार्यकर्ता मौजूद रहे. सभी ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे संस्कृत शिक्षा का स्वर्णिम युग करार दिया.

राज्य के 45 संस्कृत विद्यालय बनेंगे मॉडल

मंदिर-मठों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलेगा प्रमाणपत्र

बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि राज्य के 400 से अधिक मंदिरों और मठों में वेद-शास्त्रों का अध्ययन कर रहे बच्चों को भी गुरुकुल परंपरा के तहत जोड़ते हुए शैक्षणिक प्रमाणपत्र दिया जायेगा. इसके लिए धार्मिक न्यास बोर्ड से बैठक कर कार्य योजना बनायी जा रही है. उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा के माध्यम से संस्कृति और संस्कार को जोड़ने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा.

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