सीतामढ़ी. मुहर्रम के पवित्र अवसर पर अमन एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वाधान में शोहदा ए कर्बला कान्फ्रेंस मेहसौल अबुल कलाम आजाद चौक स्थित बड़ी ईदगाह में हुआ. कांफ्रेंस की अध्यक्षता मौलाना हाजी अजमत हुसैन व संचालन मौलाना नेमतुल्लाह रहमानी ने की. जिसमें समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया. कांफ्रेंस की शुरुआत मौलाना कलीमुल्लाह कासमी के कुरान पाक की तिलावत से हुई. कार्यक्रम में नाते रसूल और मर्सिया पढ़ा गया. कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुफ्ती सादुन नजीब ने कहा कि “कर्बला का संदेश इंसानियत, बलिदान और सत्य की राह पर चलना है. इमाम हुसैन ने अन्याय के खिलाफ जो संघर्ष किया, वह आज भी हमें प्रेरणा देता है. कर्बला की जंग किसी सत्ता के लिए नहीं, बल्कि उसूलों के लिए लड़ी गई थी. इमाम हुसैन ने जुल्म के खिलाफ खड़े होकर यह साबित कर दिया की सच्चाई की राह आसान नहीं होती, लेकिन वही राह इंसान को रब के करीब ले जाती है.
–इमाम हुसैन की कुर्बानी हर धर्म और समाज के लिए एक प्रेरणा
वहीं साजिद चतुर्वेदी ने कहा, “मुहर्रम सिर्फ मातम का महीना नहीं, बल्कि यह न्याय व इंसानियत की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों की याद दिलाता है. इमाम हुसैन की कुर्बानी हर धर्म और समाज के लिए एक प्रेरणा है. इमाम हुसैन ने जो संघर्ष किया, वह धर्म, जाति से ऊपर उठकर सत्य और न्याय की रक्षा के लिए था. उन्होंने ट्रस्ट और मेहसौल के अवाम की सराहना करते हुए कहा कि ताजियादारी को त्याग कर कांफ्रेंस का आयोजन करते है. ताजियादारी एवं इस अवसर पर ढोल ताशा बजाना नाजायज है.
कांफ्रेंस को मरकज मस्जिद के इमाम मौलाना गुलाम रसूल, मौलाना तारिक अनवर कासमी एवं मौलाना तौहीद अनवर समेत अन्य ने संबोधित करते हुए कहा कि मुहर्रम हमें इंसाफ और इंसानियत का साथ देने का संदेश देता है. उन्होंने कहा कि मेहसौल के नौजवान 2006 से मुहर्रम के अवसर पर ताजिया, ढ़ोल ताशा बजाने जैसे गलत रीति रिवाज जिसका इस्लाम मजहब में कोई स्थान नही हैं, उसे त्याग कर कांफ्रेंस का आयोजन करते हैं. इसके लिए ट्रस्ट के सचिव अलाउद्दीन बिस्मिल, अध्यक्ष हाजी नईम एवं सदस्यों समेत मेहसौल वासियों की सराहना की.
कांफ्रेंस में पूर्व कमिश्नर अरूण जायसवाल ने “कतरा कतरा लहू का पैग़ाम रहा, हर दौर में हक़ का ये सलाम रहा, सज्दा किया ख़ून से रेतों पे वो, इस्लाम का वो मुकद्दस इमाम रहा ” पढ़ कर खूब वाहवाही बटोरी. शायर ए इस्लाम मुजम्मिल हयात ने “सबके दिल को भाता है फातिमा का शहजादा, कितना भोला भाला है फातिमा का शहजादा “. वहीं मंच संचालक नेमतुल्लाह रहमानी ने “नबी के शहर में आकर हुसैन लिखता हूं, लहू के दीप जला कर हुसैन लिखता हूं पढ़ कर लोगों को मंत्रमुग्ध किया.
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