Bihar Land Survey: जमाबंदी में गड़बड़ी के कारण सर्वे में बढ़ी परेशानी, खाता, खेसरा और रकबा अपलोड करने में हो रही दिक्कत
Bihar Land Survey : बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण के दौरान ऑनलाइन डिजिटल जमाबंदी में गड़बड़ी होने से रैयतों की परेशानी बढ़ गई है. बड़ी संख्या में खाता, खेसरा और रकबा ऑनलाइन अपलोड नहीं हो पा रहा है.
By Anand Shekhar | September 8, 2024 6:56 PM
Bihar Land Survey: बिहार में शुरू हुए भूमि सर्वेक्षण को लेकर सीवान के महाराजगंज अंचल के सभी 16 पंचायतों में भी काम जारी है. लेकिन डिजिटल जमाबंदी में गड़बड़ी के कारण जमीन मालिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. सरकारी प्रयास और सभी अंचलों में जमाबंदी को डिजिटलाइज्ड किए जाने के बावजूद बड़ी संख्या में खाता, खेसरा व रकबा ऑनलाइन अपडेट नहीं हो रहा है. इस कारण रैयतों की रसीद नहीं कट रही है.
चक्कर काट रहे रैयत
सर्वे प्रक्रिया को लेकर भी रैयतों के मन में कई तरह के सवाल हैं. विशेषकर कागजातों को जमा करने की तिथि के संबंध में रैयत भ्रमित हैं. विभिन्न प्रकार के कागजात व वंशावली के लिए वो अंचल कार्यालयों और पंचायत सभाओं के चक्कर लगा रहे हैं.
महाराजगंज नगर पंचायत में अभी सर्वे नहीं हुआ शुरू
विभिन्न पंचायतों में ग्राम सभा का आयोजन जारी रहने के साथ ही अंचलों के शिविर कार्यालय में रैयतों से कागजात फॉर्म 2 और 3 में जमा कराए जा रहे हैं. जमाबंदी में सुधार कराने के लिए सभी अंचल में खोले गए वसुधा केंद्रों पर भीड़ उमड़ रही है. जहां जमाबंदी सुधार के लिए आवेदन लिया जा रहा है. उज्ज्वल कुमार ने बताया कि प्रखंड के सभी पंचायतों में आम सभा के माध्यम रैयतों को सर्वे की जानकारी दी जा रही है. हालांकि महाराजगंज नगर पंचायत में अभी सर्वे नहीं हो रहा है.
खाता, खेसरा व रकबा अपलोड करने में हो रही परेशानी
जमाबंदी को डिजिटलाइज्ड करने के बावजूद कई खाता, खेसरा, और रकबा ऑनलाइन अपडेट नहीं हो पा रहे हैं. इसके कारण किसानों को रसीद नहीं मिल रही है और सर्वे प्रक्रिया में देरी हो रही है. प्रशासन की ओर से रैयतों को बताया जा रहा है कि वे “परिमार्जन प्लस” एप के माध्यम से त्रुटियों को सुधार सकते हैं.
साइबर कैफे में उमड़ी भीड़
कागजातों में सुधार कराने के लिए प्रखंड क्षेत्र के साइबर कैफे में किसानों की भीड़ लगातार बढ़ रही है. भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को 360 दिनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है, जिसके तहत किसानों को स्वप्रमाणित वंशावली, खाता, प्लॉट, रकबा, और आसपास के किसानों के नाम की जानकारी देनी है.
किसान देवेंद्र सिंह, जिउत पासवान, मनोज तिवारी, राजकिशोर प्रसाद, और बिगाऊ यादव ने बताया कि सर्वेक्षण के लिए आवश्यक कागजात अधिकतर किसानों के पास नहीं हैं. उनका कहना है कि निजी बंटवारे, खतियान में दर्ज न होना, और पंजी टू में प्लॉट की जानकारी न होने के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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