siwan news : झमाझम बारिश से किसान खुश, धानरोपनी की बढ़ी रफ्तार

siwan news : गुरुवार की सुबह से शाम तक करीब 49 एमएम दर्ज की गयी बारिश

By SHAILESH KUMAR | July 31, 2025 7:51 PM
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सीवान. गुरुवार की सुबह से शुरू हुई झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे पर रौनक लौट आयी है. कुछ दिनों से बीच-बीच में हो रही बारिश ने अब रफ्तार पकड़ ली है. बारिश ने धान की रोपनी करने के लिए व्याकुल किसानों को काफी राहत दी है. आसमान में उमड़ते काले बादलों से झमाझम हुई बारिश के बाद कई दिनों की तपिश और उमस भरी गर्मी से जहां राहत मिली है. वहीं धान की रोपनी करने वाले किसानों के चेहरे पर भी मुस्कुराहट लौट आयी है. किसानों को बारिश का साथ मिलने से धान की रोपनी में तेजी आ गयी है. जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक लक्ष्य के विरुद्ध करीब 64 फीसदी खरीफ फसल का आच्छादन हो गया है. यदि इसी रफ्तार से बारिश का साथ मिला, तो निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक धान की रोपनी संपन्न होगी. अगर तीन-चार दिनों तक और मौसम का साथ किसानों को मिला, तो धान की रोपनी का आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा. किसानों ने बताया कि धान के बिचड़े तैयार हो गये थे, लेकिन खेतों में पानी नहीं रहने के कारण धान की रोपनी में तेजी नहीं आ रही थी. थोड़े-बहुत किसानों ने मोटर पंप की सहायता से रोपनी की थी.

धान की फसल को मिली संजीवनी

जो किसान अपने संसाधनों से धान रोपनी कर चके थे, वे बारिश नहीं होने से चिंतित थे. अनियमित बारिश की वजह से धान की फसल को नियमित रूप से सिंचाई नहीं हो पा रही थी. जिस वजह से धान सहित अन्य खरीफ फसलों के पौधे मुरझा रहे थे. झमाझम बारिश से धान की फसल को नया जीवन मिला है. कुछ दिन कड़ाके की हुई धूप और उमस भरी गर्मी के कारण धान की फसल में रोग व खर पतवार पनपने लगा था. जिसके कारण फसलें के तने पीले पड़कर सूखने लगे थे. जैसे ही मौसम में ठंडक आई, वर्षा की बौछारें फसल पर पड़ी वह रोग स्वतः समाप्त होने लगा है. जिससे किसान राहत महसूस किए. किसान पप्पू गिरि सहित अन्य लोगों ने बताया कि उमस के कारण फसल पर अन्य मौसमी रोग प्रभावी हो रहे थे, उससे भी अब निजात मिल जायेगी. पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र में पड़ रही तीखी धूप और उमस भरी गर्मी के कारण आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ था. इस बारिश से राहत मिली है.

लक्ष्य से पिछड़ गयी थी खेती

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले में जिले में वर्ष 2025-26 में खरीफ फसल का लक्ष्य 126850 हेक्टेयर निर्धारित है. वहीं खरीफ फसल का आच्छादन 84003 हेक्टेयर ही हो सका. वहीं धान के लिए 102246 हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया है. इसके विरुद्ध 66182 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है. अधिकांश किसान धान की बुआई के लिए बारिश पर निर्भर है. जुलाई के अंत तक में 140 एमएम बारिश हुई है. जबकि इस माह में औसत वर्षापात 321 एमएम है. इस बारिश से धान की रोपनी का रफ्तार मिलेगी. उम्मीद की जा रही है कि लक्ष्य के अनुसार धान की रोपनी होगी.

बारिश से सड़कों पर भरा पानी, आवागमन में परेशानी

बारिश होने से इधर कुछ दिनों से पड़ रही गर्मी से लोगों को राहत मिली है. साथ ही खरीफ की प्रमुख फसल धान की फसल के लिए यह बारिश उपयोगी है. वही इस बारिश ने लोगों के जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है. बारिश के कारण कई सड़कें कीचड़मय व जलमग्न दिखी. जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण ऐसी समस्या उत्पन्न होती है. जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.सड़क पर जल जमाव से लोग परेशान है. कहने को तो क्षेत्रों में पक्की सड़कों का जाल बिछा है लेकिन कई सड़कें पुरानी और जर्जर हो चुकी है. सड़कों से गिट्टी निकल जाने के बाद सड़कों पर छोटे-बड़े गड्ढे बन चुके हैं. जिस कारण बारिश होते ही इन गड्ढे में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. दूसरी तरफ सड़कों पर धूल मिट्टी और छोटे-छोटे गिट्टी के टुकड़े रहने से बारिश में सड़कों पर कीचड़ पसर जाता है. जिसके बाद राहगीरों को पैदल चलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अधिकांश सड़कों के किनारे नाला का निर्माण किए गया है पर आउटलेट सही नहीं होने के कारण बारिश का पानी सड़कों पर ही कई-कई दिनों से जमा रह जाता है. कई नालों में सही ढंग से निकासी नहीं होने के कारण बारिश होते ही उल्टे नाले की गाद सड़कों पर पसर जाता है. जिसके बाद उन सड़कों पर बारिश के बाद पैदल चलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन सड़कों पर लोगों के साथ ही दिन भर आला अधिकारियों का आवागमन रहता है. लेकिन किसी अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं जाता है. रख रखाव के अभाव के कारण सड़कें पूरी तरह जर्जर हो चुकी है.

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