मनीष सिसोदिया संभालेंगे पंजाब के किसानों को? दिल्ली में आप को मजबूत करने का जिम्मा सौरभ भारद्वाज को

AAP Big Decisions : दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पंजाब देखेंगे. गोपाल राय की जगह सौरभ भारद्वाज को दिल्ली की कमान दी गई. आप में हुआ बड़ा बदलाव.

By Amitabh Kumar | March 21, 2025 4:53 PM
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AAP Big Decisions : आम आदमी पार्टी (आप) ने पार्टी नेतृत्व बड़ा परिवर्तन किया है. दिल्ली चुनाव में मिली हार और पंजाब में किसान आंदोलन को लेकर आ रही परेशानी के बीच बड़ा बदलाव किया गया है. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया है जबकि, सत्येंद्र जैन को पंजाब का सह-प्रभारी बनाया गया है. दिल्ली में भी बदलाव किया गया जिसके तहत सौरभ भारद्वाज को दिल्ली आप संयोजक नियुक्त किया गया है. इससे पहले गोपाल राय इस पद को संभाल रहे थे.

पार्टी महासचिव संदीप पाठक ने बताया कि सौरभ भारद्वाज आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली इकाई और महाराज मलिक पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख होंगे. मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी, गोपाल राय पार्टी के गुजरात मामलों के प्रभारी, पंकज गुप्ता पार्टी के गोवा मामलों के प्रभारी और संदीप पाठक पार्टी के छत्तीसगढ़ मामलों के प्रभारी नियुक्त किये गये.

पंजाब में आप की परेशानी किसान

पंजाब में आप सरकार के सामने किसान आंदोलन एक बड़ी परेशानी है. जब दिल्ली में आप की सरकार थी तो उसने किसानों का साथ दिया था. वहीं, पंजाब पुलिस ने 19 मार्च की रात एक साल से अधिक समय से डेरा डाले किसानों को शंभू और खनौरी सीमा पर स्थित धरना स्थल से हटा दिया. पंजाब में आप की सरकार है. इस कार्रवाई के बाद पंजाब की मान सरकार विपक्षी दल के निशाने पर आ गई है.

दिल्ली में आप को फिर से खड़ा करने की चुनौती

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीतकर 26 साल बाद सत्ता में वापसी की. वहीं आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ और वह 22 सीटों पर सिमट गई. साल 2020 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर 9% से ज्यादा बढ़ा. आप को करीब 10% का नुकसान हुआ. कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2% बढ़ाने में पार्टी सफल रही.

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अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. केवल 49 दिन तक सरकार चलाने के बाद उन्होंने फरवरी 2014 में इस्तीफा दे दिया. 2015 के अगले विधानसभा चुनाव में आप ने प्रचंड बहुमत से जीतकर अकेले दम पर सरकार बनाई थी. यानी करीब एक दशक तक आप की सरकार रही. इसके बाद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

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