दिल्ली की सड़कें अब पहले से भी सुरक्षित होंगी. केजरीवाल सरकार की तरफ से 13 खतरनाक चौराहों और ब्लैकस्पॉट को सुरक्षित बनाया जाएगा. आइये पूरी योजना के बारे में जानते हैं.
2019 में डेढ़ हजार लोगों की गई थी जान : दिल्ली में 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में 1463 लोगों की जान गई. कोविड 19 के दौरान भी दुर्घटनाओं की संख्या में 13.5 फीसदी की कमी आई और मृत्यु दर में 13.43 की कमी आई है. ऐसे में सड़कों को वाहन चालकों और पैदल यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित बनाने का फैसला किया गया. केजरीवाल सरकार की ओर से दिल्ली की सड़कों को देश में सबसे सुरक्षित बनाया जाएगा.
दो साल के भीतर 13 चौराहे होंगे सुरक्षित : अगले 2 वर्षों में शहर के विभिन्न जिलों के 8 ब्लैकस्पॉट और 5 दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को सुरक्षित बनाया जाएगा. शहर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली चोटों और मौतों को कम करने के लिए केजरीवाल सरकार ने सेवलाइफ फाउंडेशन के साथ करार किया है. शहर के बाकि हिस्सों में भी जीरो फैटलिटी कॉरिडोर मॉडल का विस्तार किया है.
दो साल पहले किया गए समझौते से हुआ लाभ: 2018 में दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने शहर में सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए सेवलाइफ फाउंडेशन के साथ 2 साल के लिए एमओयू समझौता किया था. इसके बाद आउटर रिंग रोड पर ब्लैकस्पॉट की पहचान की गई और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए भलस्वा चौक पर एक परीक्षण किया गया. भलस्वा चौक पर सड़कों को पुनः डिज़ाइन किया गया.
जिसके बाद यातायात भी सुचारु हो गया और रोड एक्सीडेंट की कोई घटना भी नहीं घटी. ब्लैकस्पॉट की पहचान कर रिडिजाइन करने से पैदल यात्री जोखिम में 70 फीसदी की कमी आयी. इसके अलावा सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 100 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई. आसपास के स्कूली बच्चों सहित 12000 लोगों पर परीक्षण किया गया था.
Posted by: Pritish Sahay
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