Home झारखण्ड बोकारो Bokaro News : संसाधनों की कमी व उबड़-खाबड़ मैदान पर अभ्यास करने को विवश हैं हॉकी खिलाड़ी, सरकार मदद करे, तो देश दुनिया में बजायेंगे डंका

Bokaro News : संसाधनों की कमी व उबड़-खाबड़ मैदान पर अभ्यास करने को विवश हैं हॉकी खिलाड़ी, सरकार मदद करे, तो देश दुनिया में बजायेंगे डंका

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Bokaro News : संसाधनों की कमी व उबड़-खाबड़ मैदान पर अभ्यास करने को विवश हैं हॉकी खिलाड़ी, सरकार मदद करे, तो देश दुनिया में बजायेंगे डंका

बोकारो, बोकारो के उकरीद क्षेत्र के हनुमान नगर मैदान में रविवार को ‘प्रभात खबर आपके द्वार’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें हॉकी बोकारो के पदाधिकारियों, कोच व खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और अपनी समस्याओं को साझा किया. कहा कि आज क्रिकेट की चकाचौंध के बीच अन्य खेलों की तरह हॉकी को अपना मुकाम बनाये रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. सुबह व शाम को खिलाड़ी उबड़-खाबड़ मैदान पर अभ्यास करने को विवश हैं. कहा कि घंटों प्रैक्टिस करते हैं. अगर सरकारी मदद मिले, तो देश-दुनिया में अपना डंका बजायेंगे. शिवानी कुमारी, आंचल मरांडी, सुनीता किस्कू, श्रुति कुल्लू, रंजनी कुमारी व अन्य खिलाड़ियों ने बताया कि संसाधनों के अभाव में काफी कठिनाई से गुजरना पड़ता है, लेकिन बेहतर करने का प्रयास जारी रहेगा. बताया कि मैदान में बरसात में बड़े-बड़े घास उग जाते है, जिसकी सफाई भी करानी पड़ती है. यदि खेलने के दौरान हल्की वर्षा हो जाय, तो बच्चों के छिपने के लिए कोई स्थान भी नहीं है. फिर खुद के जुटाये संसाधनों से ही इन सब बच्चे अभ्यास करते है. बांस के बने गोलपोस्ट में गोल कर अपने गोल में लगे है.

हॉकी के पूर्व खिलाड़ी बच्चों को दे रहे नि:शुल्क कोचिंग

हनुमान नगर के मैदान पर इनकी हॉकी स्टिक की आवाजें दूर तक सुनायी देती हैं. इनको प्रशिक्षक, तो मिले हैं, लेकिन उसमें सरकारी योगदान कोई नहीं है. हॉकी के पूर्व खिलाड़ी इन बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग दे रहे हैं. इसी कोचिंग के बूते ये खिलाड़ी धीरे-धीरे मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं. हॉकी की इस नयी पौध के सामने दुश्वारियों का पहाड़ है. हॉकी के उपकरण, खेल संसाधन से लेकर यूनिफार्म तक उन्हें खुद खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में गरीब और निम्न वर्ग के खिलाड़ियों की हिम्मत टूट रही है. वजह है कि हॉकी खेल के लिए किट जरूरी है, जिसकी कीमत बहुत ज्यादा है. तमाम खिलाड़ियों का कहना है कि सरकारी मदद नहीं मिल पाती है. उनको अपने बूते यह सब करना पड़ रहा है. इस वजह से खेल में वह धार नहीं आ पा रही है, जिससे वे चमक सकें.

संसाधन विहीन होने के बावजूद कठिन अभ्यास व मेहनत जारी

हॉकी बोकारो के अध्यक्ष लेओ कंडुलना, सचिव सह कोच मैथियास हेमरोम, उपाध्यक्ष सह कोच विजय डांग व कोषाध्यक्ष सह कोच फिलमोन डांग ने बताया कि उकरीद क्षेत्र के हनुमान नगर मैदान में तीन दशक से पहले मात्र पांच बच्चों के साथ अभ्यास सत्र शुरू किया था, नाम दिया था हॉकी बोकारो. इसमें आज 100 बच्चे है. जो सप्ताह में तीन से चार दिन तक विद्यालय में पढ़ाई करने के बाद खेल के मैदान में अभ्यास करते है. यहां हनुमान नगर सहित आसपास के भी बच्चे अभ्यास करने आते है. संसाधन विहीन होने के बावजूद कठिन अभ्यास और मेहनत जारी है.

कहां से जुटाएं हॉकी की महंगी किट

खेल प्रशिक्षक ने बताया कि हॉकी एक ऐसा खेल है, जो बिना संसाधन के नहीं खेला जा सकता. खिलाड़ी से लेकर गोलकीपर तक के पास किट होनी चाहिए. यह किट इतनी महंगी है कि उसे ले पाना सामान्य व्यक्ति के बस के बाहर है. हॉकी की सामान्य किट लगभग 12 से 15 हजार में आती है. गोलकी पिंग किट 30 हजार के करीब पड़ती है. टूर्नामेंट के लिए गोलकीपिंग किट करीब 40 से 50 हजार रुपये में आती है. इसे कई टीमों का गोल कीपर पहनता है. तमाम खिलाड़ी एक बार हॉकी खरीद ले भी और अगर वह टूट गयी, तो उनका खेल वहीं से ब्रेक हो जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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