Durga Puja Special: कौलेश्वरी मंदिर का दुर्गा सप्तशती में है उल्लेख, रामायण और महाभारत से जुड़ा इतिहास, दुर्गा पूजा में होती है विशेष धूम

दुर्गा सप्तशती के पाठ में भी चतरा के कौलेश्वरी मंदिर का जिक्र है. इसमें कहा गया है खोलो राधीके कौलेश्वरी अर्थात कुल की रक्षा करने वाली कुलेश्वरी. ऐसी मान्यता है कि यहां मां की पूजा करने वालों के कुल की रक्षा मां करती है.

By Kunal Kishore | October 10, 2024 7:43 PM
an image

Durga Puja Special, दीनबंधू : चतरा के हंटरगंज प्रखंड के ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय कौलेश्वरी पहाड़ की झारखंड में एक अलग पहचान है. कौलेश्वरी मंदिर कौलेश्वरी के तलहटी से लगभग 1800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर की मान्यता यह है कि यहां मां की पूजा करने वालों के कुल की रक्षा होती है.

नवरात्रि में होती है विशेष धूम

प्रत्येक वर्ष दशहरा व रामनवमी में यहां काफी भीड़ होती है. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. इस दौरान लोग मन्नत मांगने व मन्नत पूरी होने पर माता का पूजा अर्चना व दर्शन करने पहुंचते हैं. इस दौरान पहाड़ गुलजार रहता है. रात दिन यहां भीड़ लगी रहती हैं.

पहाड़ पर स्थित तालाब कभी नहीं सूखता

मंदिर के पहाड़ पर स्थित एक तालाब हो जो कभी नहीं सूखता है. तालाब में हमेशा पानी भरा रहता है. श्रद्धालु तालाब में स्नान कर माता कौलेश्वरी का दर्शन करते हैं. बच्चों के मुंडन को लेकर बकरे की बली भी दी जाती है. यहां झारखंड, बिहार के अलावे अन्य राज्यों से भी लोग पूजा करने आते हैं.

ऐसे जाते हैं कौलेश्वरी मंदिर

कौलेश्वरी पर्वत पर जाने के लिए हंटरगंज से 8 किलोमीटर की दूरी तय कर तलहटी पहुंचना पड़ता है. उसके बाद 1800 पैदल चलकर मां कौलेश्वरी पर्वत पहुंचना पड़ता है.

हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म तीनों के लिए है महत्वपूर्ण स्थान

कौलेश्वरी पर्वत पर आकाश लोचन है जहां विदेशी पर्यटक अपने अपने देश का झंडा लगाते हैं. यह पर्वत सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म का संगम स्थल माना जाता है. मां कौलेश्वरी जन-जन के आस्था का केंद्र है. सनातन धर्म लंबी पूजा अर्चना के साथ विवाह एवं बच्चों का मुंडन संस्कार सदियों से कराते आ रहे हैं. बौद्ध धर्मावलंबी के लिए कौलेश्वरी पहाड़ भगवान बुद्ध की तपोभूमि के साथ मोछ प्राप्त करने का एक पवित्र स्थल है. यहां के मड़वा मडई नामक स्थल पर बौद्ध धर्मावलंबी बाल और नाखून का दान कर मोछ प्राप्त करते हुए और जीते जी अपना अंतिम संस्कार कराते हैं. वहीं जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ की तपोभूमि कौलेश्वरी पहाड़ को माना जाता है. जैन धर्मावलंबी ने पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर का भी निर्माण किया है जिसमें भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमाएं स्थापित है. इसकी सबसे ऊंची चोटी को आकाश लोचन कहा जाता है. यहां पर बहुत सारे प्राचीन मंदिर हैं यह पर्वत हिंदू, जैन व बौद्ध धर्म का संगम माना जाता है.

हर साल विदेशी पर्यटकों का लगता है तांता

यहां हर साल अमेरिका, इंग्लैंड, थाईलैंड, श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल, भूटान, चीन आदि देशों से काफी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. कोल्हुआ पहाड़ से बौद्ध धर्म के अनुयायियों की भी आस्था जुड़ी होने के कारण प्रत्येक साल काफी संख्या में बौद्ध श्रद्धालु पर्वत पर आते हैं. जैनियों की भी मान्यता है कि कौलेश्वरी 23वें तीर्थंकर पारसनाथ व शीतल नाथ की तपोभूमि है.

रामायण और महाभारत के जुड़ा है इतिहास

कौलेश्वरी मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में चिन्हित है. इसका उल्लेख दुर्गा सप्तशती में भी मिलता है. इसमें कहा गया है खोलो राधीके कौलेश्वरी अर्थात कुल की रक्षा करने वाली कुलेश्वरी. माना जाता है कि श्री राम लक्ष्मण व सीता ने वनवास काल में यहां समय व्यतीत किया था. यह भी मान्यता है कि कुंती ने अपने पांचों पुत्रों के साथ अज्ञातवास का काल यहीं बिताया था.

Also Read: Durga Puja Special: मां के इस मंदिर में बिना प्रतिमा स्थापित किये होती है नवरात्रि की पूजा, जानें इसका महत्व


संबंधित खबर और खबरें

यहां चतरा न्यूज़ (Chatra News) , चतरा हिंदी समाचार (Chatra News in Hindi), ताज़ा चतरा समाचार (Latest Chatra Samachar), चतरा पॉलिटिक्स न्यूज़ (Chatra Politics News), चतरा एजुकेशन न्यूज़ (Chatra Education News), चतरा मौसम न्यूज़ (Chatra Weather News) और चतरा क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version