कुंदा(चतरा). जिले में पिछले 72 घंटे से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से कुंदा प्रखंड इलाके में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश का कहर ऐसा है कि लोग तीन दिनों से अपने-अपने घरों में दुबके रहे. बारिश के कारण सबसे अधिक परेशानी दिहाड़ी मजदूरों को हो रही है. बारिश से खेत, आहर व तालाब लबालब भर गये हैं. क्षेत्र में कई बड़ी-छोटी नदियों का जलस्तर बढ़ने से दर्जनों गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. कई गांवों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. गांव के लोग जरूरी कार्य को पूरा करने में जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे हैं. नदी में जलस्तर बढ़ने से सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. वे कमर भर पानी को पार कर स्कूल जा रहे हैं. वहीं के अभिभावक बच्चों को स्कूल पहुंचा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक बारिश से करीब 10 हजार से अधिक लोग अपने-अपने घरों में है कैद हो गये हैं. जानकारी के अनुसार जिला के कारीमांडर, बलही, कामत, हेंदिया, खुशियाला, फुलवरिया, बंठा, दुर्गी, लकड़मंदा, उलवार, रेंगनियातरी, पचंबा, इचाक, टटेज, नावाडीह, असेदेरी, करीलगड़वा, बाचकुम समेत अन्य गांव टापू में तब्दील हो चुका है. इन नदियों पर नहीं बना पुल: जिले के कई नदियों पर पुल नहीं बनने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इनमें कोजरम गांव के हथवार नदी, बलही गांव के द्वारपार नदी, कारी मांडर-बुटकुईया गांव के अंबा नदी, असेदेरी गांव में चटनियां नदी, इचाक नदी, टटेज नदी व रेंगनिया नदी पर पुल नहीं बना है. क्या कहते हैं ग्रामीण: नागेश्वर गंझू: उलवार गांव के नागेश्वर गंझू ने बताया कि आजादी के बाद भी अब तक गांव की नदियों पर पुल नहीं बन पाया है. बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है. जनप्रतिनिधियों को कोई ध्यान नहीं है. संजय गंझू: कारीमांडर गांव निवासी संजय गंझू ने कहा कि बरसात आते ही सभी ग्रामीणों को चिंता सताने लगती है. आज तक नदी पर पुल नहीं बना है. बरसात में आमजनों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
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