रिमी पंचायत आने जाने के लिए सड़क नहीं, लोगों को हो रही परेशानी

प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूरी पर स्थित हैं रिमी पंचायत.

By VIKASH NATH | May 11, 2025 8:07 PM
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कुछ माह पूर्व सूरत यादव अपनी बेटी की शादी करने के लिए वाहन पर सवार होकर टंडवा चुंदरू मंदिर जा रहा था. वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, जिसमें सूरत यादव की मौत हो गयी थी. 11 सीएच 11- रिमी जाने वाली सड़क. लावालौंग. प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूरी पर स्थित हैं रिमी पंचायत. पंचायत में आने जाने के लिए सड़क नहीं है. पंचायत के लोग लावालौंग-पांकी पथ में स्थित हल्दीपुर से 10 किमी दूरी तय कर पथरीली व कच्ची सड़क से आवागमन करते है. सड़क नहीं रहने से लोगों को काफी परेशानी होती है. सड़क बनाने की मांग कई वर्षो से लोग करते आ रहे हैं. लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी है. जिले के कई अधिकारी, पदाधिकारी अति सुदूरवर्ती क्षेत्र रिमी पहुंच कर लोगों को सड़क बनाने का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीणों का सपना पूरा नहीं हुआ. सबसे अधिक परेशानी बीमार व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में होती है. छोटे-बड़े वाहन गांव नहीं पहुंचती है. गांव के कुछ लोग बाईक से आवागमन करते है. हमेशा दुर्घटना होती रहती है. कुछ माह पूर्व सूरत यादव अपनी बेटी की शादी करने के लिए वाहन पर सवार होकर टंडवा चुंदरू मंदिर जा रहा था. वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी, जिसमें सूरत यादव की मौत हो गयी थी. कई लोग घायल हो गये थे. कोई भी वाहन चालक रिमी जाना नहीं चाहता है. कुछ लोग जान जोखिम में डाल कर वाहन लेकर गांव पहुंचते है. गांव से दस किमी दूरी पर पांकी स्थित है. पंचायत के अधिकतर लोग पांकी बाजार से आवश्यक सामग्री की खरीदारी करते है. नदी पार कर पांकी आते जाते है. बरसात के दिनो में पूरा पंचायत टापू बन जाता है. इन गांवो को होती हैं परेशानी रिमी के अलावा पसागम, कोटारी, चानो, रामपुर, झरदाग, मंझडीहा, झिरनिया, गरहे, गुरवाडीह समेत कई गांव के लोगो को आवागमन करने में काफी परेशानी होती है. वाहन चलने से पैदल ही आवागमन करते है. ग्रामीणों ने कहा रिमी के ग्रामीण कुल्लू यादव ने कहा कि कई वर्षो से सड़क की मांग कर रहे है, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनी है. मंझडीहा के रामरतन यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया गया था. कई पदाधिकारी गांव पहुंच कर सड़क बनाने का आश्वासन दिया, लेकिन आज तक सड़क नही बनी. यदुवीर यादव, गिरेंद्र यादव, सुखदेव यादव ने कहा कि सबसे अधिक परेशानी बीमार पड़ने पर होती है. इलाज के लिए 20 किमी दूर प्रखंड मुख्यालय में स्थित अस्पताल ले जाना होता है. साधन के अभाव में जिंदगी व मौत के बीच जूझते रहते है.

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