सिमरिया़ प्रखंड के लोबगा गांव में पेयजल संकट गहराने लगा है़ गांव में दो जलमीनार लगी है, जो डेढ़ साल से खराब है, वहीं गांव का एकमात्र कुआं भी पूरी तरह सूख चुका है. ऐसे में ग्रामीणों को पीने से लेकर नहाने और कपड़े धोने तक के लिए पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है. दोनों जलमीनार लखन पासवान के घर के पास स्थित है. इनमें एक जलमीनार कल्याण विभाग द्वारा, जबकि दूसरा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की नल-जल योजना के तहत लगायी गयी है. ग्रामीणों के अनुसार, दोनों जलमीनार दो साल पहले लगायी गयी है. कल्याण विभाग द्वारा स्थापित जलमीनार मात्र पांच महीने तक ही ठीक तरह से चली, जबकि नल-जल योजना वाली जलमीनार महज दो से चार दिन ही चल सकी और उसके बाद से दोनों ही जलमीनार बंद पड़ी हैं. जहां-तहां से पानी ला रहे हैं ग्रामीण गांव में लगभग 250 लोग निवास करते हैं, जो पासवान और गंझू समुदाय के लोग हैं. पीने के पानी के लिए लोग इसी जलमीनार के सहारे हैं. अब उन्हें पीने का पानी लाने के लिए आसपास के इलाकों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. गर्मी के बढ़ते प्रभाव के कारण हालात और खराब हो गये हैं. ग्रामीण जहां-तहां से पानी लाकर अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं. गांव में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों, सेविका और सहायिका को भी पानी के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. शोभा की वस्तु बन कर रह गयी जलमीनार स्थानीय ग्रामीण लखन पासवान ने कहा, जब जलमीनार लगी थी, तो लगा कि अब पानी से जुड़ी समस्या दूर हो जायेगी, लेकिन यह तो केवल देखने की चीज बन कर रह गयी है. तिलक गंझू ने कहा कि पहले इधर-उधर से पानी लाकर पीते थे, अब भी वैसा ही करना पड़ रहा है. बालेश्वर गंझू ने हा कि सरकार की योजना बेकार साबित हो रही है. बिजली गंझू, कौलेश्वर गंझू, जीतन, शिबू, जुगन, कमल, खेमन, चांदो, राजू, बैजू, राजेंद्र, कृष्णा, गौतम, चूल्हन, एतो, अनिल और रोहित गंझू ने कहा कि उन्हें जलमीनार से कोई लाभ नहीं मिला. प्रशासन से की पहल की मांग ग्रामीणों ने बताया कि कल्याण विभाग और पीएचइडी से कई बार शिकायत की गयी, लेकिन अब तक कोई सुधार कार्य नहीं हुआ है. इससे गांव में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. लोगों ने उपायुक्त से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द जलमीनारों की मरम्मत करा कर पेयजल आपूर्ति बहाल की जाये, ताकि गांव को जल संकट से राहत मिल सके.
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