संवाददाता, देवघर : बाबा बैद्यनाथ की धरती पर जलार्पण से पूर्व होने वाला जल संकल्प सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आस्था, संकल्प और आत्मशुद्धि की परम साधना है. बाबा धाम आने वाले श्रद्धालु जल का संकल्प कराने के बाद ही बाबा पर जलार्पण के लिए जाते हैं. खासकर श्रावणी मेले में शिवगंगा घाट से लेकर बाबा मंदिर तक का हर कोना संकल्प के महामंत्रों से गुंजायमान हो रहा है. शुक्रवार को भी हजारों कांवरियों ने सामूहिक रूप से हाथों में जल, अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प मंत्रों के साथ बाबा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की. यह वह क्षण होता है, जब कांवर यात्रा केवल एक पदयात्रा नहीं रह जाती, बल्कि भगवान से सीधे जुड़ने का एक जीवंत अनुभव बन जाती है. इसके तहत पुरोहित अपने यजमान का संकल्प कराते हैं. संकल्प लेते समय श्रद्धालु के हथेली में जल, चावल और फूल रखे जाते हैं और फिर भगवान का ध्यान करते हुए पूजा करने का संकल्प लिया जाता है. भक्त जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा कर रहा है, उस मनोकामना का भी ध्यान संकल्प के साथ किया जाता है. श्रावणी मेले की परंपरा के अनुसार, कांवरियों के लिए जल संकल्प एक अनिवार्य प्रक्रिया है. इसकी शुरुआत होती है सुल्तानगंज में गंगाजल भरने के साथ. वहीं के स्थानीय पुरोहितों द्वारा बाबा बैद्यनाथ, भैरो बाबा और माता पार्वती की आराधना के साथ यात्रा की सफलता की कामना कर पहला संकल्प दिलाया जाता है. इसके बाद जहां-जहां कांवरिये रात्रि विश्राम करते हैं, वहां कांवर रखने से पूर्व क्षमा याचना और अगरबत्ती के साथ बाबा को नमन करते हैं. वहीं शिवगंगा घाट पहुंचने पर यहां स्नान करने के बाद कांवरिये अपने-अपने पुरोहितों के समक्ष सामूहिक रूप से संकल्प कराते हैं. कांवर से जल निकालकर बाबा से मन्नत पूरी होने की प्रार्थना करते हैं. इसी दौरान घाट पर श्री विष्णु – श्री हरि… के पवित्र मंत्र गूंजते रहते हैं, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो उठता है. देर शाम तक सवा लाख कांवरियों ने किया जलार्पण शुक्रवार को कांवरियों की भीड़ शिवगंगा घाट से लेकर बाबा मंदिर तक नजर आयी. कांवरियों की कतार सुबह पट खुलने से पहले ही बीएड कॉलेज के पार तक पहुंच चुकी थी. मेले के नौवें दिन श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा देखा गया. दोपहर दो बजे तक सरकार भवन के पास से कांवरियों को कतारबद्ध तरीके से मंदिर भेजने की व्यवस्था जारी रही, जबकि शाम चार बजे से जलसार चिल्ड्रेन पार्क से मंदिर तक कतार लगी रही. इससे पहले बाबा मंदिर का पट अहले सुबह खुला और पुजारी चंदन झा ने सावन के नौवें दिन की सरदारी पूजा की. इसके बाद आम कांवरियों के लिए जलार्पण शुरू कराया गया. शाम सात बजे तक करीब सवा लाख कांवरियों ने मुख्य व बाह्य अरघा तथा कूपन सुविधा के माध्यम से जलार्पण किया. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक पदाधिकारी व जवान मुस्तैद हैं. शीघ्रदर्शनम कूपन के जरीये शुक्रवार को कुल 7455 कांवरियों ने जलार्पण किया. कूपन काउंटर शाम छह बजे तक खुला रहा. हाइलाइट्स हथेली में जल, चावल और फूल लेकर भगवान का ध्यान करते हुए पूजा करने का लेते हैं संकल्प शिवगंगा घाट से बाबा मंदिर तक संकल्प के महामंत्र से हो रहा गुंजायमान
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