ज्ञापन में नेताओं ने कहा है कि मणिपुर तीन मई 2023 से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है. बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार मूकदर्शक बने हुए हैं. वहां की सरकार अभी तक जातीय हिंसा को रोकने में पूर्णतः नाकाम रही है. केंद्र की सरकार ने संसद में मणिपुर की घटना पर कोई चर्चा नहीं की और न ही हिंसा रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया.
आइएनडीआइए की प्रमुख मांगें-
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मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को रोकने में नाकाम मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त किया जाये.
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मणिपुर के राहत शिविरों में रह रहे नागरिकों के पुनर्वास की गारंटी सुनिश्चित की जाये.
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जातीय हिंसा के शिकार आम नागरिकों को न्याय दिलाने की दिशा में अविलंब आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाये.
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मणिपुर में बलात्कार एवं हिंसा की शिकार आदिवासी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानूनी कार्रवाई हो.
धरना-प्रदर्शन में मुख्य रूप से कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रो उदय प्रकाश, झामुमो जिलाध्यक्ष संजय शर्मा, राजद के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, भाकपा माले की गीता मंडल, जदयू जिलाध्यक्ष सतीश दास, आप के मुकेश तिवारी, फाब्ला के अशोक राय, सीपीएम नवल किशोर सिंह, सीपीआइ हरिहर यादव के साथ कांग्रेस के मणिशंकर, दिनेश मंडल, राजेंद्र दास, फैयाज केसर, महेंद्र यादव, कुमार विनायक, रवि केशरी, मो नसीम, झामुमो के सुरेश साह, अजयनारायण मिश्र, सरोज सिंह, दिनेश्वर किस्कू, नीलम देवी, राहुल चंद्रवंशी, सूरज झा, मनोज दास, नंदकिशोर दास, नूनू सिंह, राजद के मनोरंजन कुमार, मुकेश यादव, जदयू के त्रिवेणी बर्मा, पूर्व विधायक कामेश्वर नाथ दास, रकीब अंसारी, जयंत राव पटेल, फारवर्ड ब्लाक के अरुण मंडल,आप के डाॅ राजीव रंजन, मो इल्ताफ, नटराज प्रदीप, इश्तियाक मिर्ज़ा, जयप्रकाश मंडल, तेज नारायण वर्मा आदि मौजूद थे.
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