संवाददाता, देवघर : भोलेनाथ, यदि कांवर यात्रा के दौरान हमसे कोई भूल-चूक हो गयी हो, तो माफ कर दीजिए… मंगलवार को दुम्मा से खिजुरिया तक कांवरिया पथ पर यही दृश्य श्रद्धालुओं की गहरी भक्ति और विनम्रता का प्रमाण दे रहा था. बादल भरे मौसम और हल्की फुहारों के बीच थके हुए कांवरिये जब शिविरों से उठकर दोबारा यात्रा शुरू करने को होते, तो परंपरागत रीति के अनुसार कांवर उठाने से पहले भगवान शिव से क्षमा याचना प्रार्थना करते हुए उठक-बैठक करते दिखायी दिये. कांवरियों ने कहा कि हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि कांवर यात्रा में कोई भूल-चूक हो गयी है तो उसे माफ करना. यह भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान करने का तरीका है. ऐसा मानना है कि यात्रा के दौरान आने वाली बाधाएं दूरी होती है. मंगलवार को दिन के एक बजे से तीन बजे के बीच कांवरिया पथ पर अनोखा नजारा दिखा. झारखंड का प्रवेश द्वार दुम्मा से खिजुरिया तक पथ में मखमली बालू होने से कांवरियों को पैदल चलने में आसानी हो रही थी. कांवरिया पथ पूरी तरह से गेरुआ वस्त्रधारी कांवरियों से पटा रहा. बारिश की बूंदा बांदी के बीच कांवरियों का प्रवाह लगातार देवघर की ओर बढ़ रहा था. औसतन प्रति मिनट 30 से 40 कांवरियों का प्रवाह पथ पर था. महिलाओं व बच्चों का उत्साह कम नहीं था. बारिश में भींगने से बचने के लिए कई कांवरिये शरीर को प्लास्टिक से लपेट कर चल रहे थे. बारिश के बीच रास्ते में लगायी गयी कृत्रिम इंद्रवर्षा को चालू नहीं किया गया था. झारखंड का प्रवेश द्वार दुम्मा पहुंचने पर कांवरियों का चेहरा खिला खिला नजर आ रहा था. दूसरी ओर मौसम अनुकूल होने के बाद भी पैरों में फफोला व दर्द लिए पंक्चर बम का चलना मुश्किल हो रहा था, बावजूद उनका हिम्मत कम नहीं हो रहा था. शिविर में मलहम-पट्टी से उनमें नया उत्साह का संचार हो रहा था.
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