लीगल काउंसेलिंग : उपभोक्ता अधिकारों को लेकर रहें सतर्क, मुआवजे के लिए रसीद जरूरी

कानूनी राहत तभी मिलेगी जब उनके पास खरीदी गयी वस्तु की पक्की रसीद हो. यह सलाह उपभोक्ता संरक्षण फोरम के पूर्व सदस्य दिलीप श्रीवास्तव ने शनिवार को ऑनलाइन आयोजित कानूनी सलाह सत्र के दौरान दी.

By FALGUNI MARIK | August 2, 2025 7:51 PM
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देवघर. बिल के बिना मुआवजे की उम्मीद छोड़ दें. उपभोक्ता अगर किसी सेवा या उत्पाद में त्रुटि पाते हैं, तो उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहते हुए उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल करने का पूरा हक है, लेकिन कानूनी राहत तभी मिलेगी जब उनके पास खरीदी गयी वस्तु की पक्की रसीद हो. यह सलाह उपभोक्ता संरक्षण फोरम के पूर्व सदस्य दिलीप श्रीवास्तव ने शनिवार को ऑनलाइन आयोजित कानूनी सलाह सत्र के दौरान दी. जिसमें देवघर, दुमका, जामताड़ा, गोड्डा और जमुई से जुड़े लोगों ने उपभोक्ता अधिकार, चेक बाउंस और भूमि विवाद जैसे विषयों पर सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिष्ठान से कोई सामान की खरीदारी करते हैं और वारंटी की अवधि में त्रुटिपूर्ण सेवा देता है, तो उसके लिए उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल कर मुआवजा पा सकते हैं. इसके लिए सामान खरीदने का पक्का बिल यानि रसीद अनिवार्य है. कोई भी व्यक्ति रेलवे से लेकर वायुयान में त्रुटिपूर्ण सेवा संबंधी वाद दाखिल कर मुआवजा पा सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन मुकदमा कहीं भी दर्ज करा सकते हैं, बाद में क्षेत्राधिकार के अनुसार ट्रांसफर कर दिया जाता है. काउंसेलिंग के दौरान सबसे अधिक उपभोक्ता हित से संबंधित सवाल पूछे गये. इसके अलावा चेक बाउंस, जमीन विवाद व रेवेन्यू से संबंधित मामलों में आम लोगाें ने सलाह ली. लोगों के सवाल व एक्सपर्ट की सलाह गोड्डा से रोशन कुमार गुप्ता का सवाल : गोड्डा के एक परिचित के प्रतिष्ठान से वाशिंग मशीन खरीदी थी. कैश दिया था और दो-तीन साल की वारंटी दी थी. साल भर भी नहीं हुआ है, कपड़ा साफ नहीं हो रहा है और अचानक बंद भी हो जाती है. कई बार शिकायत किये पर, लेकिन न तो मशीन बदली गयी और न रिपेयर कराया. क्या करें. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : अगर आपके पास पक्की रसीद है और वारंटी अवधि में वाशिंग मशीन है, तो पहले उक्त प्रतिष्ठान के प्रोपराइटर एवं कपंनी के नाम से लिखित शिकायत करें. सुनवाई नहीं होने पर किसी भी अधिवक्ता से प्लीडर नोटिस भिजवायें और जवाब का इंतजार करें. अगर किसी भी प्रकार का जवाब नहीं आता है, तो उपभोक्ता अदालत में शिकायत दाखिल करें, क्षतिपूर्ति की राशि अवश्य मिलेगी. दुमका सरैयाहाट से अंजनी कुमार का सवाल: मैंने डाक विभाग से स्पीड पोस्ट के माध्यम से पत्र भेजा था, लेकिन जिसके पास भेजा था, उसे उपलब्ध नहीं कराया. इससे उसे तकरीबन एक लाख रुपये का घाटा हो गया. शिकायत करने पर भी नहीं सुधि ली. मानसिक रूप से परेशान हैं. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : आप इस संबंध में डाक विभाग को लिखित शिकायत करें. शिकायत की एक प्रति अपने पास रखें. स्पीड पोस्ट की ऑनलाइन ट्रैकिंग रिपोर्ट किसी भी प्रज्ञा केंद्र या कंप्यूटर चालक से निकलवा लें. पश्चात सभी दस्तावेजों के साथ उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दाखिल करें. उपभोक्ता अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आदेश पारित करेगा. विपक्षी हाजिर नहीं होने पर न्यायिक प्रक्रिया के तहत एकपक्षीय फैसला भी सुना सकती है. मिहिजाम से सुशील कुमार का सवाल : बैंक से डेयरी के लिए ऋण लिये हैं. पांच गायें मिली, जिसका पशुधन बीमा योजना के तहत बीमा भी कराया था. बीमा की अवधि में दो गायें मर गयीं. ऋण चुकाने में दिक्कतें हो रही है. बैंक किस्त भुगतान के लिए दबाव दे रहा है. उपाय बतायें. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : इस संबंध में सारी स्थिति के बारे में लिखित सूचना बैंक को दें व बीमा कंपनी को भी शिकायत करें. विभागीय जांच के पश्चात मुआवजा व क्षतिपूर्ति राशि मिलेगी. अगर सुनवाई नहीं होती है, तो सभी दस्तावेजों के साथ बीमा कंपनी के विरुद्ध मुआवजा के लिए दावा कर सकते हैं. मधुपुर से रमेश मंडल का सवाल : गीजर खरीदा हूं, लेकिन पानी गरम नहीं होता है. दुकानदार रसीद दिया था, लेकिन वह मिल नहीं रहा है. कंपनी को ई-मेल से शिकायत किये व दुकान के मालिक को भी ईमेल भेजकर शिकायत किये. कोई जवाब नहीं दे रहा है. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : बिना रसीद के उपभोक्ता फोरम में अगर मुकदमा दाखिल करते हैं, तो वह विधि सम्मत नहीं होगा. क्षतिपूर्ति की राशि का दावा पाने के लिए दुकानदार से पहले रसीद की दूसरी प्रति निकलवा लें, जिसमें उसकी मुहर व हस्ताक्षर अनिवार्य है. इसके बाद आपका पक्ष मजबूत होगा. जामताड़ा से सुरभि राणा का सवाल : रेलवे में यात्रा के लिए वातानुकूलित डब्बे में अपना बर्थ आरक्षित कराये थे. मुझे गंदा चादर दिया गया और कंबल से भी बदबू आ रही थी. कोच की देखरेख करने वाले को शिकायत किये, लेकिन दुबारा नहीं आया. क्या मुआवजा पाने के हकदार हैं. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : रेलवे विभाग की शिकायत पुस्तिका में पहले शिकायत दर्ज करायें तथा रेलवे विभाग अगर मुआवजा नहीं देती है, तो आप कंज्यूमर फोरम में मानसिक क्षतिपूर्ति के अलावा अन्य राशि का भी दावा कर सकते हैं. फोरम के फैसला आने तक इंतजार करना होगा. देवघर के कुशमिल से अनूप राजहंस का सवाल : मुद्रा लोन लेना चाह रहे हैं. पढ़े-लिखे हैं और बिजनेस करना चाह रहे हैं. गांव के बगल में एसबीआइ की शाखा है. इस लोन पाने की क्या प्रक्रिया है. सुझाव चाहिए. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह: मुद्रा लोन प्रधानमंत्री द्वारा घोषित है, जो सिर्फ व्यवसाय आरंभ करने के लिए दिया जाता है. इसके लिए काैन सा बिजनेस करना चाहते हैं और कहां करना चाहते हैं. इसका प्रोजेक्ट बनाकर बैंक मैनेजर के नाम आवेदन देना होगा. आवेदन की जांच के पश्चात ऋण स्वीकृत होगा. इस लोन के लिए गारंटीयर की आवश्यकता नहीं होता है. गोड्डा के अमलो से जयप्रकाश शर्मा का सवाल : भूदानी पट्टा से एक व्यक्ति को जमीन मिली है और वह बेच रहा है, जिसे मैं खरीदना चाहता हूं. क्या यह जमीन लेना अच्छा होगा. फोरम के पूर्व सदस्य की सलाह : भूदान की जमीन उसी व्यक्ति को मिलती है, जो भूमिहीन की श्रेणी में आता है. भूदान की जमीन अगर बेच रहा है, ताे वह नियम के प्रतिकूल होगा. भूदानी जमीन की खरीद बिक्री एसपीटी एक्ट के अनुसार अवैध है. इसके अलावा गोड्डा से मदन कुमार मंडल, जमुई से संतोष कुमार, जामताड़ा से ललित कुमार, मधुपुर से प्रकाश झा, मधुपुर बाजार से युगल किशोर सिंह, करौं से राजेश कुमार सिंह, जसीडीह से संतोष कुमार दुबे आदि ने सवाल किये, जिस पर उन्होंने विधि सम्मत सलाह दी. हाइलाइलाइट्स प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में उपभोक्ता फोरम के पूर्व सदस्य दिलीप श्रीवास्तव ने दी कानूनी सलाह, कहा

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