मधुपुर. शहर के भेड़वा नवाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में संत व समाज सुधारक कवि कबीर, क्रांतिकारी शायर राम प्रसाद बिस्मिल व जनकवि हरीश भादानी की जयंती मनायी गयी. इस दौरान लोगों ने तीनों विभूतियों की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि कबीर युग प्रवर्तक व क्रांतिकारी कवि थे. उन्होंने अपने नाम को अपने कार्य व जीवन चरित्र के जरिए सारगर्भित व मर्मस्पर्शी वाणी से साधक किया है. कबीर ने सच को सही समझा और खुलकर बेबाकी से कहते गया. उन्होंने खुद ही कहा कि सांची कहो तो मारन धावे, झूठे जग पतियाय धारदार काव्यात्मक अभिव्यक्ति व विसंगतियों के विरोध में जितना चोट कबीर ने किया, उतना शायद ही किसी ने किया हो. उन्होंने कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी शायर व देश की आजादी के लिए कुर्बान होने वाले बच्चे देशभक्त शहीद थे. इसके साथ ही वो इतिहासकार व बहुभाषी अनुवादक भी थे. उन्होंने अपने तीस वर्ष के जीवन काल में ग्राहक पुस्तकें प्रकाशित किया, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने उसे जब्त कर लिया. वो किताबें बेचकर अंग्रेजी हुकूमत के विरोध लड़ते वो भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह खां, जैसे क्रांतिकारियों के साथी थे. बिस्मिल की शायरी क्रांतिकारियों के लिए उर्जा व प्ररेणा देने का काम किया. भला ऐसे विभूतियों को कैसे बिसराया जा सकता है. अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखा.
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