देवघर : गुरुवार को फाल्गुन मास एकादशी उपरांत द्वादशी तिथि के अवसर पर सुबह से ही उपनयन व मुंडन कराने आये श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. मंदिर प्रशासनिक भवन, पाठक धर्मशाला से लेकर बाबा मंदिर परिसर में स्थित सभी मंदिरों के बरामदे पर उपनयन व मुंडन कराने वालों की भीड़ रही. इस कारण लोगों को मंदिरों के गर्भगृह के अंदर जाने में भी थोड़ी परेशानी हो रही थी. चली आ रही परंपरा के अनुसार, उपनयन के पहले मटकोर यानी मंडप का विधान है. इसको लेकर बुधवार की रात को ही बड़ी संख्या में भक्तों को बरूआ के माथे पर कपड़ा रख उपनयन के गीत गाते हुए मटकोर का विधान करने के लिए शिवगंगा घाट पर देखा गया. वहीं शाम के सात बजे से ही अलग- अलग मंदिरों में बैठकर विधिवत कुल व ग्राम देवता की पूजा करने के बाद बरुआ का जुटिका बंधन कराया गया. उसके बाद ये लोग मंदिर में जगह रखने के लिए पूरी रात वहीं बैठे रहे. वहीं सुबह सात बजे से ही लोग उपनयन कराने के लिए मंदिर पहुंचने लगे. दिन के 12 बजे तक पूरा परिसर भर चुका था. वहीं इस दौरान मुंडन कराने आए भक्तों का भी दिन भर तांता लगा रहा. शुभ घड़ी में लोग फाग के गीत व कीर्तन करने के लिए भी पहुंचे. सुविधा केंद्र के बरामदे पर कई टोली में कीर्तन का दौर चल रहा था.
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