मधुपुर. प्रखंड क्षेत्र के महुआडाबर, मनियारडीह व खैरबनी गांव में वर्ष 2002 में 16- 16 लाख की लागत से झारक्राफ्ट द्वारा बनाये गये बुनकर शेड उपेक्षा के कारण सालो से बंद व बेकार पड़ा हुआ है. शेड बंद रहने के कारण दर्जनों बुनकर बेरोजगार है. उक्त तीनों शेड निर्माण के मात्र तीन से चार माह ही महिलाओं द्वारा कपड़े की बुनाई शुरू की गयी थी, लेकिन उन्हें सही ढंग से मजदूरी नहीं मिलने के कारण बुनाई के कार्य से वे लोग अपना पल्ला झाड़ने लगे. जिस कारण बुनाई का काम पूरी तरह से बंद हो गया. शेड में लाखों खर्च कर लगाये गये हैंडलूम व कपड़ा रंगाई की मशीन समेत कपड़े बनाने की सुत रोल करने की मशीन भी जंग खा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि झारक्राफ्ट के माध्यम से समिति का गठन कर लोग हैंडलूम में कपड़े की बुनाई करते थे. तीनों शेडो में बेडशीट, गमछा, शर्ट के कपड़े बनाये जाते थे. इन कपड़ों के उद्योग विभाग के अधिकारियों द्वारा ले जाया जाता था. शेड में कार्य करने के लिए कामगारों को काम सिखाने के लिए 60- 120 लोगों को विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया था. प्रशिक्षण के बाद उत्साह के साथ कामगारों ने सुत से कपना बनाने का काम किया. पर संसाधन की कमी, उपेक्षा व कार्य के अनुरूप उचित मूल्य नहीं दिये जाने के कारण लोगों ने काम छोड़ दिया और बाहर जाकर काम करने लगे.
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