संवाददाता, देवघर : सुहागिनों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला वट सावित्री व्रत नहाय-खाय की परंपरा के साथ रविवार से प्रारंभ हो गया. रविवार को सुबह में स्नान-ध्यान कर सुहागिनों ने पवित्रता के साथ अरवा चावल, मूंग दाल और विभिन्न प्रकार के पारंपरिक व्यंजन बनाकर विशेष पूजा के उपरांत ग्रहण किया. सोमवार को महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी और पति की लंबी उम्र की कामना करेंगी. वहीं मंगलवार को अहले सुबह वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति के स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की प्रार्थना कर व्रत व पूजा को संपन्न किया जायेगा. इस व्रत को कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है. मान्यता है कि इस पूजा से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है. बाबाधाम के पंडित पंकज महाराज ने बताया कि वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई को मनाया जायेगा. उन्होंने कहा कि चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 25 मई को दोपहर 1:25 बजे से होकर 26 मई को सुबह 11 बजे तक रहेगा, जिसके बाद अमावस्या का प्रवेश होगा. स्कंद पुराण के अनुसार यदि चतुर्दशी तिथि का योग अमावस्या के साथ पूर्व में हो जाये, तो व्रत उसी दिन रखा जाता है. ऐसे में इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई यानि सोमवार को रखा जायेगा, जबकि वट वृक्ष पूजन मंगलवार 27 मई को सुबह 8:44 बजे तक किया जायेगा. यह व्रत सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें सावित्री ने अपने तप और निष्ठा से अपने पति सत्यवान को यमराज से पुनः जीवित करवा लिया था. तभी से यह व्रत सुहागिनों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बन गया है.
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