सामुदायिक भवन सीसीडब्ल्यूओ में आयोजित ऑल इंडिया मल्टीलिंगुअल ड्रामा, डांस, ड्राइंग एंड म्यूजिक कंपटीशन फेस्टिवल काला हीरा के तीसरे दिन रविवार को कार्यक्रम की शुरुआत ऑल इंडिया थिएटर काउंसिल के प्रवक्ता रंगकर नाट्य निर्देशक प्रदीप बाजपेयी, काला हीरा के निदेशक राजेंद्र प्रसाद व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से की. इस दौरान स्थानीय एवं बाहर से आये कलाकारों ने नृत्य-संगीत प्रस्तुत कर भारतीय संस्कृति को मंच पर जीवंत किया. राजेंद्र प्रसाद एवं उनकी पत्नी पूनम प्रसाद ने झारखंड, बंगाल, उड़ीसा, एमपी, यूपी से आये अतिथियों का स्वागत किया. आज कार्यक्रम की शुरुआत ड्राइंग प्रतियोगिता से हुई. इसमें बच्चों ने एक से बढ़कर भाग लिया. इसका जजमेंट ऑल इंडिया थिएटर काउंसिल के कार्यकारिणी सदस्य अष्टभुजा मिश्रा ने दिया. भागलपुर के ऋषि राज को प्रथम पुरस्कार विजेता घोषित किया गया.
नृत्य-गीत प्रतियोगिता में 120 कलाकारों ने भाग लिया
पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आजमगढ़ एवं झारखंड के 120 कलाकारों ने लोक नृत्य, ड्राइंग, सिंगिंग प्रतियोगिता में भाग लिया. रविवार को कार्यक्रम में सरसी चंद्रा, सचिव हेमंत कुमार मंडल, कोषाध्यक्ष नरेश राय, वाइस प्रेसिडेंट मिताली मुखर्जी, देवनारायण, उत्तम विश्वकर्मा, सतीश कुमार, रविकांत उर्फ आर्या कुमार, शिवानी, वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा, संजय चंद्रा, यूसी मिश्रा, चंद्रिका राम का सक्रिय योगदान दिया.
नृत्य पर दी गयी मोहक प्रस्तुति
आज से होगी नाट्य प्रस्तुति
सोमवार से शुरू होने वाले नाट्य प्रस्तुति में भाग लेने 13 टीमें आ चुकी हैं. जयपुर उड़ीसा के आह्वान थिएटर, मध्य प्रदेश ग्वालियर के आइटीएम परफॉर्मिंग आर्ट्स क्लब, उत्तर प्रदेश के यूथ थिएटर ग्रुप, जमशेदपुर की डेट टीम, आइना नाट्य टीम गिरिडीह, रंग नाट्य टीम गिरिडीह, कला संगम गिरिडीह, कलाकृति नाट्य टीम जमशेदपुर, निहार नाट्य टीम राउरकेला ओड़िशा समेत अन्य टीमें शामिल हैं.
संस्कृति का संवाहक है थियेटर : आफताब
ऑल इंडिया थियेटर काउंसिल के राष्ट्रीय प्रवक्ता आफताब राणा ने कहा कि मौजूदा समय में थियेटर, नौटंकी, रंगमंच की कला विलुप्त होने की ओर अग्रसर है. ऐसे आयोजन से युवा वर्ग को संदेश मिलता है कि भारतीय संस्कृति को सहेजने की जरूरत है. जिनकी यह सोच है कि थियेटर से रोटियां नहीं कमायी जा सकती, उनके लिए कहना है कि पढ़कर थियेटर कर रहे हैं, तो रोटियां चलकर आती हैं. थियेटर से हमारी सभ्यता संस्कृति जुड़ी है.
नौटंकी की विलुप्त होती विद्या को जीवंत कर रहे : अष्टभुजा
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