जिले में अप्रैल माह से ही बारिश का दौर जारी है. इस साल कभी हल्की तो कभी झमाझम बारिश ने 24 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बावजूद इसके उद्यान विभाग की लेटलतीफी से जिले में बागवानी की गतिविधियां ठप हैं. इस वजह से किसान परेशान हैं. जनवरी से जून तक की बारिश की बात करें, तो 2001 के बाद 2025 में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गयी है. 2021 में 598.9 एमएम बारिश हुई थी. इसके बाद 2025 में 593.92 एमएम बारिश हुई है. जून के बाद जुलाई में भी बारिश का दौर जारी है. रविवार की देर रात शुरू हुई बारिश सोमवार की सुबह आठ बजे तक बारिश होती रही. दिन में तीखी धूप का असर भी रहा है. लेकिन बीच-बीच में बादल आते रहे और बारिश होती रही. मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में बादलों के आने का दौर जारी रहेगा. इसके मजबूत होने पर बारिश हो सकती है. अलग-अलग कारणों से आते रहे बादल : जिले में अलग-अलग कारणों से बादलों के आने का दौर जारी रहा. कभी ट्रफ लाइन से साथ दिया तो कभी निम्न दबाव के क्षेत्र का असर जिले में देखने को मिला. 17 जून को मानसून ने झारखंड में दस्तक दी. इसके बाद शायद ही किसी दिन बारिश नहीं होगी. आये दिन हो रही बारिश ने जिले में बारिश का ग्राफ बढ़ा दिया.
जनवरी से जून के बीच बारिश
सालएमएम
2025593.922024218.51 2023110.78 2022234.81 2021577.1 2020176.5 2019227.5 2018314.4 2017187.2 2016261.6 2015264.6 2014295 2013454.9 2012126.5 2011414 201076.3 2009136.9 2008273 2007274.6 2006306.8 2005290.7 2004330.12003423 2002399.1
इधर, उद्यान विभाग को तीन माह बाद भी नहीं मिली कार्ययोजना
वित्तीय वर्ष 2025-26 के तीन माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक उद्यान विभाग को राज्य स्तर से वार्षिक कार्ययोजना प्राप्त नहीं हुई है. इससे किसानों में नाराजगी है. क्योंकि खेती का उपयुक्त समय निकलता जा रहा है व वे सरकारी मदद के अभाव में पिछड़ते जा रहे हैं. आम, अमरूद, नींबू जैसे फलों की बागवानी के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है. लेकिन विभाग को कार्ययोजना नहीं मिलने से पौधा वितरण, सिंचाई संयंत्र, पॉलीहाउस निर्माण जैसी योजनाएं अभी तक शुरू नहीं हो पायी हैं. इससे किसानों की सालभर की तैयारी अधूरी रह गयी है. यदि जल्दी समाधान नहीं हुआ, तो पूरी खरीफ बागवानी प्रभावित हो जायेगी. पिछले वर्ष किसानों को विभाग द्वारा कई योजनाओं का लाभ दिया गया. इसके तहत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर बीज भी दिया गया था. 700 किसानों को राज्य या राज्य से बाहर माली बनने, ओल, सब्जी, फल, मशरूम, पपीता की खेती व मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया. वहीं छोटी नर्सरी की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत का अनुदान दिया गया. इसके अलावा स्ट्रॉबेरी, केला, अनानस, ड्रैगन फ्रूट, पपीता के बीज पर 40 प्रतिशत अनुदान व एंटीबर्ड जाली, टूबलर हाउस आदि भी मुफ्त में दिया गया था.
जिले में किस-किस योजना का मिल रहा था लाभ
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