Home झारखण्ड धनबाद Dhanbad News : फर्जीवाड़ा से निबटने की तैयारी : अब आधार ऑथेंटिकेशन के बाद ही होगा जीएसटी का रजिस्ट्रेशन

Dhanbad News : फर्जीवाड़ा से निबटने की तैयारी : अब आधार ऑथेंटिकेशन के बाद ही होगा जीएसटी का रजिस्ट्रेशन

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Dhanbad News : फर्जीवाड़ा से निबटने की तैयारी : अब आधार ऑथेंटिकेशन के बाद ही होगा जीएसटी का रजिस्ट्रेशन

अब फर्जी कंपनी बनाकर दो नंबर का कोयला या लोहा खपाना आसान नहीं रह जायेगा. सरकार ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार ऑथेंटिकेशन अनिवार्य कर दिया है. इससे बोगस फर्म और फर्जी बिल बनाकर टैक्स चोरी करने पर अंकुश लगेगा. धनबाद मंडल के सभी छह अंचलों में आधार सुविधा केंद्र खोले जा रहे हैं. चिरकुंडा व कतरास अंचल में आधार सुविधा केंद्र चालू हो गया है. धनबाद, नागरीय, झरिया व बोकारो अंचल में जल्द सुविधा केंद्र शुरू होगा. सेल्स टैक्स अधिकारी के मुताबिक, अब फर्म संचालकों को ऑनलाइन आवेदन करने के बाद बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के लिए आधार सुविधा केंद्र जाना होगा, जहां विभाग के अधिकारी बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के साथ अभिलेखों का सत्यापन करेंगे. सब कुछ सही पाने पर ही जीएसटी पंजीकरण होगा. नयी व्यवस्था शुरू होने के बाद फर्जी फर्म पर अंकुश लगेगा.

धनबाद में अब तक 1623 करोड़ टैक्स की चोरी की :

धनबाद कोयलांचल में फर्जी कंपनी बनाकर टैक्स चोरी का खुलेआम खेल चल रहा है. पिछले दिनों जीएसटी सेंट्रल की आइबी टीम ने धैया में सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी कर करोड़ों रुपये टैक्स चोरी का खुलासा किया था. एक अगस्त 2017 को जीएसटी लागू हुआ. फर्जी कंपनी के नाम पर करोड़ों का ई-वे बिल (परमिट) निकाला गया. सरकार को टैक्स तो नहीं मिला, दो नंबर का कोयला व लोहा फर्जी कंपनी के परमिट से दूसरी जगहों पर भेजा गया. 2019-20 तक फर्जी कंपनी के नाम पर खूब खेल हुआ. इसके बाद धर-पकड़ शुरू हुई. लेकिन फेक रजिस्ट्रेशन का खेल आज भी चल रहा है. राज्यकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-2023 तक धनबाद में 80895 फर्जी ई-वे बिल निकाले गये. 1606 करोड़ टैक्स की चोरी की गयी. पिछले साल भी धनबाद व बोकारो की आठ कंपनियों ने 17.89 करोड़ के जीएसटी की चोरी की. नयी व्यवस्था लागू होने के बाद फर्जी रजिस्ट्रेशन पर अंकुश लगेगा.

जानें कैसे किया जाता है खेल :

धंधेबाज फर्जी रेंट एग्रीमेंट और पैन नंबर से फर्जी कंपनी बनाकर ऑनलाइन निबंधन कराते हैं. विभिन्न खदानों से निकलने वाले दो नंबर के कोयला को एक नंबर बनाने के लिए फर्जी कंपनी के नाम से ऑनलाइन इ-वे बिल (परमिट) जनरेट करते हैं. उस परमिट से कोयले को या तो राज्य से बाहर भेजा जाता है या स्थानीय भट्ठों में खपाया जाता है. अब तो परमिट की टाइमिंग पर भी खेल हो रहा है. समय पर ट्रक गंतव्य स्थान पर पहुंच गया, तो उस परमिट को कैंसिल कर दिया जाता है. इस तरह के कई मामलों को विभाग ने पकड़ा है.

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