Healthy Daughters Happy Family: डॉ जेके सिन्हा इंटरनेशनल मेमोरियल स्कूल में मंगलवार को प्रभात खबर की ओर से स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम ‘स्वस्थ बेटियां खुशहाल परिवार’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रूपा प्रसाद ने बेटियों को मिनार्की के साथ ही इस उम्र में होनेवाली अन्य समस्याओं का समाधान बताया. कार्यक्रम में स्कूल की सैकड़ों छात्राएं उपस्थित होकर चिकित्सक की बातों से ध्यान से सुना, सवाल पूछे. चिकित्सक ने भी छात्राओं के विभिन्न सवालों के जवाब दिये. साथ ही उन्हें स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने और स्वच्छता को लेकर टिप्स दिये. स्कूल के प्राचार्य, शिक्षिकाओं ने प्रभात खबर के इस कार्यक्रम की सराहना की. सभी का कहना था कि प्रभात खबर अपनी सामाजिक, शैक्षणिक जिम्मेवारियों के साथ ही छात्राओं के लिए हेल्थ अवेयरनेस कार्यक्रम का आयोजन कर प्रसंशनीय कार्य कर रहा है.
छात्राओं के सवाल : छात्राओं ने अनियमित मासिक, मोटापा, एनिमिया, ओवर थिंकिंग, याददाश्त कमजोर होना व आई साइड कम होने से संबंधित सवाल चिकित्सक से पूछे.
चिकित्सक का जवाब : डॉ रूपा ने छात्राओं के सवाल पर कहा कि मासिक के समय शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं. मासिक 28 दिन का चक्र होता है. मासिक के समय पेट दर्द, जी मिचलाना, खाने की इच्छा न होना, अकेले रहने का मन करना, बेवजह उदासी आदि समस्याएं आती है. सबसे पहले इस बात को ठीक से समझना होगा कि आधी आबादी के लिए मासिक ईश्वरीय देन है. इसका मतलब है, हमारा शरीर स्वस्थ है. हैप्पी, पीसफुल लाइफ के लिए फिजिकली, मेंटली व सोशल लाइफ में बैलेंस जरूरी है, मासिक के समय सामान्य दिनों की तरह काम करें, खाना न छोड़ें, ओवर थिंकिंग से बचें, मनपसंद संगीत सुनें, खुद को व्यस्त रखें.
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मिनार्की की दी जानकारी
डॉ रूपा ने बताया कि भारतीय परिवेश में 11 से 13 साल की उम्र में मासिक शुरू होता है. इसे मिनाकीं कहते हैं. लेकिन बदलते लाइफ स्टाइल व पर्यावरण प्रदूषण के कारण नौ साल में भी पीरियड्स शुरू हो जा रहा है. क्लास सिक्स से सेवेन के बीच की बेटियां मिनार्की के करीब होती हैं. पहला मासिक जब आता है, उसे मिनार्की कहते हैं. मासिक के समय पेट दर्द अधिक हो, मासिक की तिथि में अनियमितता है, ज्यादा परेशानी हो, तो चिकित्सक से मिलें. उन दिनों सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करें. चार घंटे में उसे बदलें. ह्वाइट डिस्चार्ज की परेशानी हो, तो छिपायें नहीं, तत्काल अपने परिजन को बतायें. पीरियड्स के पहले या बाद में ऐसी समस्या होती है. अधिक चक्कर आने पर हीमोग्लोबिन की जांच करायें. शरीर में खून की कमी होने से भी चक्कर आता है.
सोशल मीडिया में ज्यादा एक्टिव न रहें
वर्तमान समय में बेटियों में पीसीओडी की समस्या बढ़ती जा रही है. पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर. इस डिसऑर्डर के दौरान हार्मोनल बदलाव होता है. इस कारण मोटापा, अनियमित मासिक, चेहरे पर बाल आना, सिरदर्द होना, नींद न आना, मूड स्विंग, माइग्रेन की शिकायत होती है. पीसीओडी से बचने के लिए सबसे पहले लाइफ स्टाइल में बदलाव लायें, पौष्टिक आहर लें, मेडिटेशन व योगा नियमित करें, तनाव न पाले नकारात्मक विचार न पाले, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय न रहें. फिजिकल वर्क करें.
पेपीलोमा वायरस से होता है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर पेपीलोमा वायरस से होता है. इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. नौ साल से 45 साल तक इसके पांच डोज लगाये जाते हैं. नौ से चौदह साल में दो, अठारह से 45 साल में तीन डोज लगते हैं. हर आठ में से एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर से होती है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर से सबसे अधिक मौत होती है. इसलिए अपने पैरेंट्स को इस वैक्सीनेशन की जानकारी देकर इसका डोज लगवा लें.
बैलेंस डायट लेने का दिया सुझाव
बढ़ती हुई उम्र में बेटियों को खाने में आयरन, विटामिन व मिनरल, प्रोटीन की जरूरत अधिक होती है. आयरन के लिए ब्रोकली, लाल साग, खजूर, सलाद पत्ता, पालक, गुड़, बीट, राजमा, बादाम खायें. विटामिन सी के लिए मटर, शिमला मिर्च, संतरा, नींबू, हरी मिर्च व आंवला का उपयोग करें. प्रोटीन के लिए ड्राय फ्रूट्स, अंडा, दूध, दही, दाल, मटर का सेवन करें. पौष्टिक व संतुलित आहार लें. नियमित योग करें. खूब पानी पीयें. इस तरह आप स्वस्थ रहेंगी और दुनिया की हर चुनौतियों के सामने खुद को साबित कर पायेंगी.
प्राचार्य ने की प्रभात खबर के अभियान की सराहना
स्कूल के प्राचार्य डॉ बी जगदीश राव ने प्रभात खबर की ओर से बेटियों के स्वास्थ्य को लेकर चलाये जा रहे अभियान की सराहना की. उन्होंने कहा कि किशोरावस्था में बच्चियों की कई समस्या होती है. चिकित्सक ने उपयोगी जानकारी देकर उनकी समस्याओं का समाधान किया, चिकित्सक व प्रभात खबर का बहुत आभार. कॅरियर काउंसेलिंग के साथ ही हेल्थ काउंसेलिंग भी बहुत जरूरी है.
ऐसे कार्यक्रम से जागरूक होंगी बेटियां
स्कूल की शिक्षिका निवेदिता डे ने कहा मौजूदा समय में बेटियों में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता जरूरी है. प्रभात खबर की ओर से बेटियों के लिए हेल्थ अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाना प्रशंसनीय है. इस उम्र में बच्चियों में झिझक होती है. ऐसे कार्यक्रमों से उनकी समस्या का समाधान होगा, झिझक भी मिटेगी.
बेटियों का मार्गदर्शन कर रहा प्रभात खबर
स्कूल की शिक्षिका स्निग्धा मिश्रा ने कहा कि चिकित्सक ने किशोरावस्था में होनेवाली परेशानी व उसके निराकरण की अच्छी जानकारी दी. प्रभात खबर की मुहिम सार्थक है. इस तरह के आयोजन से बच्चियों में अपनी बातें रखने का आत्मविश्वास आता है.
कैसे मददगार है अखबार इसकी जानकारी दी गयी
स्कूल की छात्राओं को हेल्थ काउंसेलिंग से पहले अखबार की उपयोगिता बतायी गयी. उन्हें बताया गया की अखबार में सभी वर्ग के लिए उपयोगी खबर होती है. स्टूडेंटस के लिए पूरा पेज कैंंपस सोसाइटी के नाम से आता है. इसमें स्कूल-कॉलेज की खबरों के साथ ही कंपीटीशन में सफल हुए स्टूडेंट्स का इंटरव्यू भी होता है. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में मदद मिलती है. शब्दकोष बढ़ता है. हर दिन नये शब्द सीखने को मिलते हैं. कॅरियर, हेल्थ संबंधी जानकारी के साथ ही रोजगार की जानकारी भी अखबार में होती है. स्थानीय खबरों के साथ देश विदेश में होनेवाली हलचल के बारे में अखबार से पता चलता है. सोशल मीडिया भटकाव भरा होता है, जबकि अखबार की खबर तथ्य परक होती है.
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