खुद की शक्ति पहचान रोकनेवालों को रोककर आगे निकले आधी आबादी, बदल जायेगी फिजा

महिला दिवस की पूर्व संध्या पर धनबाद की प्रबुद्ध महिलाओं का जुटान प्रभात खबर के धनबाद कार्यालय में हुआ. इस दौरान विभिन्न फील्ड से जुड़ी महिलाओं ने खुल कर अपनी बात रही. सबका यह मानना था कि आधी आबादी ने आज हर क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है.

By Mithilesh Jha | March 7, 2024 9:56 PM
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महिला दिवस की पूर्व संध्या पर धनबाद की प्रबुद्ध महिलाओं का जुटान प्रभात खबर के धनबाद कार्यालय में हुआ. इस दौरान विभिन्न फील्ड से जुड़ी महिलाओं ने खुल कर अपनी बात रही. सबका यह मानना था कि आधी आबादी ने आज हर क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है.

घर से लेकर बाहर तक की जवाबदेही संभाल रही आधी आबादी जब काम से घर लौटती है, तो भी वह काम पर ही लौटती है, क्योंकि घर की जवाबदेहियां उनकी प्रतीक्षा करती हैं. पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाओं ने कहा कि अब माहौल बदला है, घर की जवाबदेही अब पुरुष भी उठाने लगे हैं. महिलाओं का सम्मान भी बढ़ा है, पर अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां सोचने की जरूरत है. खास कर सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामले में और ध्यान देने की बात कही गयी. पढ़ें परिचर्चा के दौरान कौन सी चिंता दिखी और क्या चाहती है आधी आबादी.

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आधी आबादी का कहना

सुरक्षा के क्षेत्र में

  • महिलाओं, लड़कियों की सुरक्षा की जवाबदेही सबकी हो
  • सुरक्षा के मामलों में पुलिस तत्काल कार्रवाई करे
  • महिला थानों में पुख्ता व्यवस्था हो और पिंक पुलिसिंग प्रभावी हो

स्वास्थ्य के क्षेत्र में

  • सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सक की व्यवस्था हो
  • नि:शुल्क दवा की उपलब्धता पर ध्यान दिया जाये
  • खास कर सीनियर सिटीजन के लिए तय मानक का पालन हो

यातायात के संबंध में

  • शहर में महिलाओं के लिए पिंक ऑटो की व्यवस्था हो
  • बड़े शहरों जैसे वाहन की सुविधा हो

परिवार से अपेक्षा

  • नारी को वस्तु नहीं इंसान समझें
  • कमजोरी का फायदा नहीं उठायें, भावनात्मक रूप से साथ दें

समाज से अपेक्षा

  • गरीब बेटियों को आगे बढ़ाने में मददगार बनें
  • कहीं किसी महिला के साथ अभद्रता हो रहा हो तो मददगार बनें

खुद के लिए सुझाव

  • महिलाएं अपने लिए भी समय निकालें
  • आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनें
  • दायित्व के निर्वहन के साथ खुद का विकास करें
  • अपने बच्चों में संस्कार भरें
  • मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखें

जो चिंता जतायी गयी

  • बेटों की कमियों को ढकने की कोशिश गलत है, सुधार करायें
  • बच्चे भावनात्मक रूप से घर से नहीं जुड़ रहे, इस पर काम हो
  • बच्चे संस्कार भूल रहे, उन्हें सिखाना होगा

वैदिक काल से ही नारी का स्थान ऊंचा रहा है. आज बेटियों से ज्यादा बेटों को संस्कार व शिक्षा देने की जरूरत है. जब तक जननी को नहीं जानेंगे, भूमि को कैसे मानेंगे. आर्थिक जगत का इनपावरमेंट चाहते हैं, तो बेटियों पर इनवेस्ट करें. गहना खरीदने की जगह बेटियों को शिक्षित करें.

बरनाली गुप्ता, एंकर

मैं 19 सालों से शिक्षा जगत से जुड़ी हूं. इतने सालों में मैंने महिला व पुरुष में भेद-भाव होते देखा है. घरों में भी बेटा-बेटी के बीच भेद-भाव होता है. मेरा मानना है कि सम्मान की शुरुआत घर से होनी चाहिए, तभी बाहर भी सम्मान मिलेगा. बच्चों के साथ समय बितायें. बेटों को महिलाओं का सम्मान करना सिखायें.

संगीता श्रीवास्तव, शिक्षिका

महिलाएं कल भी सशक्त थीं, आज भी सशक्त हैं. सोचने का फेर है. पहले हमारा समाज मातृसत्तात्मक था. प्रकृति की संरक्षिका महिलाएं थीं और हैं भी. लेकिन जब सुरक्षा की बात होती है, तो महिलाएं हर जगह अपने को असुरक्षित पाती हैं. अपनी सुरक्षा का ध्यान हमें खुद रखना होगा.

डॉ नीलम मिश्रा, शिक्षाविद

मैं तीस साल से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हूं. नारी शक्ति को पहचान मिल रही है. हर क्षेत्र में कामयाब हो रही हैं. आज के समय में हमें अपने बच्चों में संस्कार भरने की जरूरत है. उन्हें उनके लिमिट बताने की जरूरत है, ताकि समाज संतुलित रहे. नारी सृष्टि करती है, तो संहार भी कर सकती है.

डॉ मीरा सिन्हा, शिक्षाविद

महिलाएं अपने उत्तरदायित्व को संभालते हुए आगे बढ़ें. आजकल के बच्चे मर्यादा भूल गये हैं. सबसे पहले बच्चों को नैतिकता का ज्ञान देने की जरूरत है. बेटा हो या बेटी दोनों को पारिवारिक रहन-सहन, लिहाज व सम्मान की बात बतानी होगी. अभिभावकों की जवाबदेही बच्चों के प्रति बहुत बढ़ गयी है.

पूनम सिंह, जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड मेंबर

महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. मौजूदा समय में उनका आत्मनिर्भर होने के साथ आत्मविश्वासी होना भी जरूरी है. महिलाओं ने हर क्षेत्र में परचम लहराया है, लेकिन जब सुरक्षा की बात आती है तो वह गौण नजर आता है. सुरक्षा को लेकर काम करने की जरूरत है.

मीनाक्षी सिंह, पूर्व पार्षद

पूरे परिवार का ध्यान रखती महिला अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर जाती है. महिलाओं को रोज एक घंटा अपने लिए निकालना होगा. जिम्मेवारी पूरी होने के बाद रिटायरमेंट लाइफ की बात नहीं करें, जीवन का आनंद लेने का यही सही समय है. अपना स्ट्रेंथ बढ़ायें. बेटियों को अर्निंग मेंबर बनायें.

सोना रावल

सात्विक मन के बल हम ऊंचाइयों को छू सकते हैं. एक दूसरे से प्रेम बांट सकते हैं. आत्मा का गुण है सुख, शांति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, पवित्रता व शक्ति. प्रेम देने से बढ़ता है. आजकल के बच्चों को आध्यात्म से जोड़ने की जरूरत है. किताबी ज्ञान के साथ नैतिक ज्ञान भी जरूरी है.

कविता आडवाणी, व्यवसायी

महिलाओं को अपनी मानसिक शक्ति हमेशा मजबूत रखने की जरूरत है. मेंटल स्ट्रेंथ के लिए पसंदीदा म्यूजिक सुनें, फ्रेंडस से बात करें. जो पसंद आये वो काम करें. जो दुखी हैं उन्हें सहारा दें. हमें एक दूजे के सहयोग से आगे बढ़ना है. यह ना सोचें कि जो है सो ठीक है.

रीना पूर्वे, चाइल्ड स्पेसलिस्ट

पुरुष शिव है, तो नारी शक्ति है. शक्ति व शिव के बिना समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. आज के समय में सभी को सुखद परिवेश के लिए समाज के लिए श्रम व समय दान करना होगा. बच्चों के सेटल होने के बाद समाज के लिए काम करें, पिछड़े लोगों को आगे

सुमन राय, सोशल वर्कर

महिलाओं को वह सम्मान व अधिकार अभी तक नहीं मिला है, जो मिलना चाहिए था. मां बेटियों से ज्यादा बेटों को सिखायें, उनमें संस्कार डालें. बेटे देर से आते हैं, तो उनसे सवाल करें. तभी पुरुषों का नजरिया महिलाओं के प्रति बदलेगा और समाज में बदलाव आयेगा.

नीलम कुमारी, शिक्षिका

महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, तो पुरुष की सफलता में भी महिलाओं का योगदान रहता है. वर्तमान समय में दोनों एक दूसरे के साथ सहयोग से परचम लहरा रहे हैं. हम सभी को मिलकर घर-परिवार के साथ समाज के प्रति अपनी जवाबदेही निभानी होगी, तभी सही बदलाव आयेगा.

मीना अग्रवाल, गृहिणी

महिला दिवस के दिन महाशिवरात्रि है. यही साबित करता है कि शिव और शक्ति दोनों ही समाज और विकास के लिए आवश्यक हैं. महिलाएं आज किसी मामले में पीछे नहीं हैं, पर महिलाओं की सफलता के पीछे पुरुषों के योगदान को नहीं भूला जा सकता है. हम मिल कर आगे बढ़ें और परचम लहरायें.

अश्विनी लाला, मिस एशिया इंटरनेशनल

महिला सशक्तीकरण का नारा तभी सार्थक होगा, जब हम खुद को सशक्त करेंगे. हमारा रास्ता रोकने वालों को रोक कर हमें आगे बढ़ना होगा. कल भी हमें रोका जाता था, आज भी रोका जाता है और कल भी रास्ता रोका जाता रहेगा. पर रोकने वालों को रोक कर आगे बढ़ना है. शिखर तक जाना है.

आरती सिंह, गृहिणी

आज के समय में हर महिला को कामकाजी होना चाहिए, ताकि पैसों व अन्य जरूरतों के लिए उसे किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़े. महिला दिवस की सार्थकता तभी है जब उन महिलाओं की आवाज भी मुखर हो, जो पिछड़ी हैं. एक दुसरे के साथ सहयोग से ही महिलाएं कार्यक्षेत्र में सफल हो सकती हैं.

अंजनी बरनवाल, गृहिणी

नारी के बगैर जीवन व परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती है. नारी को सम्मान देने से ही आप भी सम्मान पायेंगे. महिलाएं आत्मनिर्भर बनें, साथ ही खुद का सम्मान करें. विभिन्न क्षेत्रों में काम रही महिलाओं ने कामयाबी की परिभाषा बदल दी है. नारी शक्ति हर क्षेत्र में आज आगे है.

नीना छाबड़ा, सोशल वर्कर

सशक्त महिलाओं को मददगार बनना चाहिए. उपेक्षित लोगों को मदद की जरूरत है. एक हाथ कामगार है, तो दस हाथ को मदद की जरूरत होती है. उन बच्चियों के सपनों को पूरा करने में जरूर मदद करें, जो वो बनना चाहती हैं. हम अपने स्तर से भी बेटियों की मदद कर सकते हैं.

रेणु लाल, व्यवसायी

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