पुलिसवाले या अधिकारी आपकी बात नहीं सुनते, तो करें ये काम, तुरंत होगा एक्शन

Legal News: धनबाद, बोकारो व गिरिडीह के कोर्ट में जमीन से जुड़े हजारों मामले चल रहे हैं. प्रोपर्टी से जुड़े मामले को आपस में बैठकर सुलझाने की कोशिश करें. अगर आपस में मामला नहीं सुलझता है, तो पंचों के समक्ष मामला रखें. यहां भी मामला नहीं सुलझता है, तो दोनों पक्ष के लोग वकील से मिलकर लीगल एडवाइस लें. अगर पुलिस या अधिकारी आपकी बात नहीं सुनते, तो ये काम करें. तुरंत होगा एक्शन.

By Mithilesh Jha | May 25, 2025 9:25 PM
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Legal News| किसी मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं करती है, या वरीय अधिकारी आपकी बात नहीं सुनते हैं, तो क्या करें? क्या ऐसा करें कि तुरंत एक्शन हो. धनबाद के वरिष्ठ वकील कंसारी मंडल कहते हैं कि अगर अधिकारी आपकी बात नहीं सुनते, तो ऑनलाइन एफआइआर करें. इसके बाद भी केस एडमिट नहीं होता है, तो कोर्ट की शरण में जायें. हर व्यक्ति के लिए न्याय का सरल व सुगम रास्ता है न्यायालय. वहां एक्शन जरूर होगा. एडवोकेट कंसारी मंडल प्रभात खबर की ओर से आयोजित लीगल काउंसेलिंग को संबोधित कर रहे थे. धनबाद, गिरिडीह, बोकारो जिले से दर्जनों लोगों ने सवाल पूछे. इस दौरान सबसे अधिक प्रोपर्टी विवाद व पुलिस धमकी से संबंधित सवाल आये. सभी सवालों के जवाब धनबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता कंसारी मंडल ने दिये.

चिरकुंडा से रमाकांत सिंह का सवाल : रैयती जमीन है. ग्रामीण रास्ता मांग रहे हैं. थाना से सपोर्ट नहीं मिल रहा है, क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह : आपकी रैयती जमीन है. पहले आप अपनी जमीन की चहारदीवारी करायें. अगर कोई आपत्ति करता है, तो थाना में लिखित शिकायत करें. एसएसपी से मिलें और उपायुक्त के जनता दरबार में शिकायत करें.

तेलमच्चो से अभिजित भट्टाचार्या का सवाल : हमने वकालत की डिग्री हासिल कर ली है. सरकारी जॉब कर रहे हैं. क्या प्रैक्टिस कर सकते हैं.

अधिवक्ता की सलाह : वकालत की डिग्री लेने के बाद लाइसेंस लेना पड़ता है. इस दौरान शपथ पत्र देना पड़ता है कि हम कहीं दूसरी जगह जॉब नहीं करते हैं. अगर आप सरकारी जॉब में हैं, तो प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं.

कतरास से राजकुमार गोस्वामी का सवाल : थाना मोड़ में दुकान है. नगर निगम मेरी दुकान को तोड़फोड़ कर ले गया. जबकि आसपास के दुकानों को कुछ नहीं किया. क्या करें .

अधिवक्ता की सलाह : अगर आपकी दुकान सरकारी जमीन पर है, तो नगर निगम उसे हटा सकता है. अगर सिर्फ आपकी दुकान को हटाया गया है और दूसरी दुकान को नहीं, तो आप कोर्ट की शरण में जा सकते हैं.

गिरिडीह से रामेश्वर प्रसाद का सवाल : हमलोगों की खतियानी जमीन परदादा के नाम से है. परदादा दो भाई थे. एक भाई के दो लड़के हैं. दूसरे भाई के लड़के का निधन हो गया. क्या वह प्रोपर्टी हमलोगों के नाम होगी.

अधिवक्ता की सलाह : 1931 का खतियान है. अगर कोई विवाद है, तो सिविल कोर्ट में मामले को ले जाइये.

हीरापुर धनबाद से एसके सिंह का सवाल : फ्लैट में भाड़े पर रहते थे. लैंड लॉड ने जबरन सामान घर से फेंकवा दिया. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी मामले को डिसमिस कर दिया. क्या करें

अधिवक्ता की सलाह : डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से केस डिसमिस कर दिया गया, तो हाई कोर्ट जायें. डालसा की मदद लें, आपको सहयोग मिलेगा.

कठवारा गिरिडीह से बालदेव तिवारी का सवाल : रैयती जमीन है. कुछ लोग जमीन अपना बता रहे हैं. मामला न्यायालय में चल रहा है. क्या करें.

अधिवक्ता की सलाह : अगर मामला न्यायालय में चल रहा है तो न्यायालय के जजमेंट का इंतजार करें.

बलियापुर से आशीश कुमार का सवाल : रैयती जमीन है. कुछ विवाद हुआ था. एसडीओ कोर्ट में मामला चल रहा है. एसडीओ कोर्ट से सम्मन भेजा गया, लेकिन थाना से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है.

अधिवक्ता की सलाह : थाना नहीं सुन रहा है तो एसएसपी से शिकायत करें.

हीरापुर से एक व्यक्ति का सवाल : प्रोपर्टी मामले में मेरे चाचा के लड़के ने टाइटल सूट किया और पिताजी को पार्टी बनाया है. वंशावली में पिताजी को मृत घोषित कर दिया है. जबकि पिताजी जीवित हैं. क्या करें.

अधिवक्ता की सलाह : कोर्ट में एपियर होकर अपना पक्ष रखिए. मामले पर कोर्ट संज्ञान लेगा.

बोकारो के पवन कुमार का सवाल : बोकारो में 2004 में जमीन खरीदी. जमीन की रसीद, होल्डिंग, म्यूटेशन सब कुछ है. दूसरे लोग दावा कर रहे हैं कि यह जमीन उनकी है. क्या करें.

अधिवक्ता की सलाह : कोर्ट ने 126 धारा लगायी है. अगर कोर्ट 144 धारा लगाता, तो जमीन पर नहीं जा सकते थे. लेकिन धारा 126 लगाया गया है, तो जमीन पर दखल मत छोड़िए.

इन्होंने भी पूछे सवाल : गिरिडीह से अनिल कुमार यादव, सरायढेला से मनोज सिंह, निरसा से नीरज कुमार, पुटकी से शक्ति प्रसाद पाठक, धनबाद से आरएम शर्मा ने भी सवाल पूछे.

आपस में बैठकर सुलझाने की कोशिश करें प्रोपर्टी विवाद

धनबाद, बोकारो व गिरिडीह के कोर्ट में जमीन से जुड़े हजारों मामले चल रहे हैं. प्रोपर्टी से जुड़े मामले को आपस में बैठकर सुलझाने की कोशिश करें. अगर आपस में मामला नहीं सुलझता है, तो पंचों के समक्ष मामला रखें. यहां भी मामला नहीं सुलझता है, तो दोनों पक्ष के लोग वकील से मिलकर लीगल एडवाइस लें. अधिवक्ता जो सलाह देंगे, उसी रास्ते पर चलें. यह कहना है धनबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता सह धनबाद बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कंसारी मंडल का. वह रविवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे. ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में धनबाद, बोकारो व गिरिडीह जिले से प्रोपर्टी से जुड़े कई मामले आये. गांडेय (गिरिडीह) के लखन राम का सवाल था कि पांच भाई के नाम से जमीन है. पांचों के नाम से म्यूटेशन है. तीन भाई विदेश में रहते हैं. हमलोग दो भाई यहां रहते हैं. क्या हमलोग जमीन बेच सकते हैं. इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता कंसारी मंडल ने कहा कि जब पांचों भाई के नाम से जमीन है, तो उनकी सहमति के बिना जमीन नहीं बेच सकते हैं. बोकारो से मनोज कुमार का सवाल था कि उनके तीन भाई है. माता-पिता की मृत्यु हो गयी है. अपने भाईयों में घर व जमीन का बंटवारा कैसे किया जाये. क्या कोर्ट के शरण में जाना पड़ेगा. इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता कंसारी मंडल ने कहा कि कोर्ट अंतिम विकल्प होना चाहिए. पहले परिवार के बुजुर्ग के साथ बैठकर आपस में विवाद सुलझा लें. इसके बाद भी मामला नहीं सुलझता है तो कोर्ट जायें.

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