Dhanbad News : महिलाओं को मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान विशेष देखभाल की जरूरत

प्रभात खबर ऑनलाइन मेडिकल काउंसेलिंग में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रीना बरनवाल ने दी सलाह

By NARENDRA KUMAR SINGH | July 26, 2025 2:03 AM
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मासिक धर्म और गर्भावस्था दोनों अवस्थाएं महिलाओं के जीवन की प्राकृतिक, लेकिन अत्यंत संवेदनशील स्थितियां होती हैं. इनमें उन्हें विशेष सावधानी और स्वास्थ्य-जागरूकता की आवश्यकता होती है. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अक्सर पेट या पीठ दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, मूड स्विंग्स और संक्रमण का खतरा होता है. इनसे बचाव के लिए सैनिटरी पैड या मेंस्ट्रुअल कप का समय पर बदलना (हर 4 से 6 घंटे में) बेहद जरूरी है. जननांग क्षेत्र को साफ और सूखा रखें, ताकि संक्रमण से बचाव हो सके. आयरन, कैल्शियम और विटामिन बी6 से भरपूर आहार पीरियड्स के दौरान कमजोरी और थकावट को दूर करता है. हल्का व्यायाम करें, योग और स्ट्रेचिंग से दर्द में राहत मिलता है. अगर पीरियड्स अत्यधिक अनियमित हों या दर्द असहनीय हो, तो बिना देर किये डॉक्टर से संपर्क करें. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज, कब्ज, यूरीन इन्फेक्शन जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं. इसके लिए हर माह डॉक्टर से मिलें और आवश्यक जांच करायें, फोलिक एसिड, आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार जरूरी है. कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी पीयें. प्रसवपूर्व योग शारीरिक और मानसिक राहत देता है. अगर गर्भावस्था के दौरान तेज पेट दर्द, रक्तस्राव, सिर चकराना, धुंधला दिखना या भ्रूण की गतिविधि कम महसूस हो तो यह गंभीर संकेत हो सकते हैं. तुरंत नजदीकी अस्पताल या स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें. इसके अलावा जिन महिलाओं को पहले से थायरॉइड, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं, उन्हें नियमित जांच और सही इलाज के साथ इनका मैनेजमेंट करना चाहिये. यह सुझाव शुक्रवार को प्रभात खबर ऑनलाइन मेडिकल काउंसेलिंग में शहर के प्रसिद्ध स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रीना बरनवाल ने दिया.

बोकारो से हीना परवीन ने पूछा :

डॉक्टर

: इस स्थिति में प्रसव के दौरान खास एहतियात बरतना आवश्यक है. प्रयास करें कि किसी बड़े अस्पताल में ही प्रसव कराएं, जहां कार्डियक स्पोर्ट की व्यवस्था हो.

सिंदरी से अर्चना मिश्रा ने पूछा :

डॉक्टर :

कतरास से निर्मला बरनवाल ने पूछा :

डॉक्टर :

सबसे पहले जांच कर बीमारी का पता लगाना आवश्यक है. यह बहुत कारणों से हो सकता है. स्त्री व प्रसूती रोग विशेषज्ञ के साथ यूरोलॉजी के चिकित्सक से परामर्श लें. कुछ दवाओं के जरिए इस बीमारी को दूर किया जा सकता है.

गिरिडीह से नेहा कुमारी ने पूछा :

डॉक्टर :

तेलो के कुम्हारटोला से नीता देवी ने पूछा :

डॉक्टर :

यह बड़ी समस्या नहीं है. आपको और आपके पति काे कुछ जांच कराने होंगे. इससे बच्चा नहीं ठहरने के कारण का पता लगाया जा सकता है. कुछ दवाओं के जरिए इस समस्या को दूर करना आसान है. इसके लिए स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें.

गिरिडीह से रीना कुमारी ने पूछा :

डॉक्टर :

झरिया से रीना गुप्ता ने पूछा :

डॉक्टर :

आम तौर पर 40 से 50 वर्ष के बीच का समय पीरियड साइकिल में बदलाव का समय होता है. इस बीच पीरियड अनियमित होना शुरू होता है, जो आगे चलकर बंद हो जाता है. अल्ट्रासाउंड करवाकर स्त्री एवं प्रसूती रोग चिकित्सक से सलाह लें.

बोकारो से दीपक कुमार महतो ने पूछा :

डॉक्टर :

बोकारो से संजय कुमार न पूछा :

डॉक्टर :

इसके कई कारण हो सकता है. इसके लिए जरूरी है कि पति और पत्नी की एक्सुअल काउंसेलिंग करायी जाये. इसके बाद ही कारण का पता लगाना संभव है. कई मामलों में परिवेष बदलना कारगर साबित होता है.

कुमारधुबी से कल्पना कुमारी ने पूछा :

डॉक्टर :

धनबाद से नीतू कुमार ने पूछा :

डॉक्टर :

पांच माह ज्यादा समय नहीं होता. इसलिए, कुछ दिन तक और प्रयास करें. अगर एक साल से जयादा समय तक बच्चा नहीं ठहर रहा है, तो चिकित्सक से परामर्श लें.

निरसा से चंदना पंडित ने पूछा :

डॉक्टर :

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