Dhanbad News: देशभर में 10 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलेगा टेक्समिन

आइआइटी आइएसएम धनबाद का टेक्समिन ने खनन तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पहल शुरू की है. इस कड़ी में टेक्समिन देशभर में 10 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने जा रहा है,

By ASHOK KUMAR | May 6, 2025 1:09 AM
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धनबाद.

आइआइटी आइएसएम धनबाद का टेक्समिन ने खनन तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पहल शुरू की है. इस कड़ी में टेक्समिन (टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब) देशभर में 10 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओइ) खोलने जा रहा है, जहां खनन क्षेत्र में नवाचार और नई तकनीक पर शोध को बढ़ावा मिलेगा. खास बात यह है कि इनमें से आधे सेंटर पूर्वोत्तर भारत के संस्थानों में स्थापित किये जायेंगे. केंद्र सरकार इन राज्यों में तकनीकी संसाधनों के विस्तार पर फोकस कर रहा है. यह सभी सेंटर इसी वर्ष से काम करना शुरू कर देंगे.

हर सेंटर के लिए 2.5 करोड़

आइआइटी आइएसएम के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया कि हर सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के विकास पर आइआइटी धनबाद प्रबंधन 2.5 करोड़ रुपये खर्च करेगा. यह सभी सेंटर ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों में खोले जा रहे हैं, जहां पहले से माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है.

पूर्वोत्तर में पांच केंद्र खुलेंगे

पूर्वोत्तर में जिन संस्थानों में टेक्समिन द्वारा सेंटर ऑफ एक्सिलेंस खोले जा रहे हैं उनमें एनआइटी अगरतला, एनआइटी नागालैंड, आइआइआइटी मणिपुर, एनआइटी मेघालय और मेट्रॉन टेक सिटी गुवाहाटी शामिल हैं. वहीं, देश के अन्य हिस्सों में एनआइटी राउरकेला, वीएनआइटी नागपुर, आइआइईएसटी शिवपुर भी शामिल हैं. इसके साथ ही आइआइटी आइएसएम प्रबंधन झारखंड के दो महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग कॉलेज बीआइटी सिंदरी और झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी (जेटीयू) रांची में भी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस शुरू करने जा रहा है.

छात्रों, शोधकर्ताओं व उद्योगों को साझा मंच देना मकदस

प्रो धीरज कुमार ने बताया कि टेक्समिन का मकसद खनन क्षेत्र से जुड़े छात्रों, शोधकर्ताओं और उद्योगों को एक साझा मंच उपलब्ध कराना है, जहां वास्तविक चुनौतियों का तकनीकी समाधान निकाला जा सके. इन सेंटरों के माध्यम से सिर्फ इन संस्थानों में ही नहीं बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के युवाओं को खनन क्षेत्र में इनोवेशन को लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.सभी केंद्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए हर प्रकार की तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. सभी सेंटर में अत्याधुनिक उपकरण, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और फील्ड बेस्ड प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिलेगा.

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