केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आइआइटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाई समझने की सुविधा मिलनी चाहिए. यह जिम्मेदारी संस्थान प्रबंधन की होनी चाहिए कि हर छात्र को विषयवस्तु समझने में भाषा बाधा न बने. नयी शिक्षा नीति भी मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देती है. श्री प्रधान गुरुवार को आइआइटी आइएसएम धनबाद में बीटेक के नये छात्रों के ओरिएंटेशन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने छात्रों के सवालों का उत्तर भी दिया. बिहार के मधुबनी से आये छात्र मो कलाम ने केंद्रीय मंत्री से सवाल किया कि वह बिहार बोर्ड के छात्र हैं. उनकी स्कूली शिक्षा हिंदी माध्यम में हुई है. जेइइ एडवांस्ड में सफलता के बाद आइआइटी आइएसएम में नामांकन मिला़ लेकिन कक्षाओं में पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी होने के कारण उन्हें विषयवस्तु समझने में कठिनाई हो रही है. इस पर केंद्रीय मंत्री ने संस्थान के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि मो कलाम जैसे छात्रों को उनकी मातृभाषा में लेक्चर समझाने की समुचित व्यवस्था हो. मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने छात्रों के सर्वांगीण विकास की बात करते हुए कहा कि जिस प्रकार आइआइटी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हर छात्र के लिए अनिवार्य विषय है, उसी तरह खेल को भी अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रचनात्मकता और खेल दोनों विद्यार्थियों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं. मथुरा की एक छात्रा रितिका सिंह द्वारा खेलों में भागीदारी को लेकर उठाये गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आइआइटी जैसे संस्थानों को छात्रों को खेलों में भाग लेने की पूरी आजादी देनी चाहिए.
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