रितु सिंह
आज हम प्रतिदिन औसतन आठ से 10 घंटे स्क्रीन के सामने बिताते हैं. शारीरिक गतिशीलता कम हो गयी है. काम का दबाव, प्रतिस्पर्धा व सोशल मीडिया के कारण तनाव और चिंता बढ़ गयी है. डिजिटल यंत्रों पर बढ़ती निर्भरता ने हमें स्वयं के शरीर और मन से दूर कर दिया है. ऐसे दौर में योग ही वह उपाय है, जो हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से फिर से संतुलित करने में सहयोगी सिद्ध होगा. क्योंकि डिजिटल युग में योग कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुका है. यदि हम चाहते हैं कि हमारी भावी पीढ़ियां स्वस्थ, संतुलित और सुखद जीवन व्यतीत करें, तो उन्हें योग से जोड़ना समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है.
योग एक संतुलित जीवन का सूत्र
हमेशा याद रखें आज जब हमारी दिनचर्या डिजिटल डिवाइसों से घिरी हुई है, जब काम का तनाव बढ़ रहा है और जब रिश्ते सतही होते जा रहे हैं, ऐसे समय में योग हमें स्वयं से जोड़ने वाला ब्रिज बनकर उभरता है. यह हमें सिखाता है कि सच्चा सुख बाहर नहीं, हमारे भीतर छिपा है. योग कोई धर्म, पंथ या जाति तक सीमित नहीं, यह हर इंसान के लिए है. यदि हम संतुलित, स्वस्थ और सार्थक जीवन जीना चाहते हैं, तो योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है.
अनुलोम-विलोम
भ्रामरी प्राणायाम
इस आसन के लिए शांत जगह पर बैठ जायें. आंखें बंद करें और दोनों कानों को अंगूठों से बंद रखें. बाकी उंगलियां आंखों और चेहरे पर हल्के से रखें फिरगहरा श्वास लें और फिर श्वास छोड़ते हुए भौंरे जैसी ध्वनि करें. यह प्रक्रिया पांच से सात बार दोहराएं.(लेखिका वरिष्ठ योग गुरु व आहार विशेषज्ञ हैं) B
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