रानीश्वर. पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों के सभी कच्ची सड़कें कीचड़ से भर गयी है. कहीं-कहीं कच्चे मकान गिरने की सूचना मिल रही है. धूप नहीं निकलने से विभिन्न सरकारी व गैर पक्के मकानों की छत से पानी टपक रहा है. भारी बारिश से निचले स्तर की जमीन पर जहां किसानों ने धनरोपनी की है. वहां बरसात का पानी जमा हो जाने से हाल ही में रोपे गये धान की फसल पानी में डूबा रहने से सड़ जाने की आशंका जतायी जा रही है. पीएचसी आसनबनी परिसर में जल-जमाव पीएचसी आसनबनी परिसर से जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने से बरसात का पानी परिसर में ही जमा है. स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मरीजों को तथा उनके परिजनों को अस्पताल तक पहुंचने के लिए परिसर में जमा पानी के ऊपर से चलकर जाना पड़ता है. पीएचसी के बाहर सड़क किनारे दो साल पहले बनाये गये निकासी नाली ठीक से नहीं बनाये जाने से पीएचसी से जल-निकासी नहीं हो पाने से बारिश होने पर परिसर में ही जल जमा रह जाता है. डूबा धान का बिचड़ा, गलने का खतरा आसनबनी के किसान प्रदीप कुमार मंडल ने बताया कि तीन दिन पहले उन्होंने धान रोपनी की है, पर लगातार हो रही बारिश से खेतों में पानी भर जाने से रोपे गये बिचड़े पानी में भर गया है. बारिश बंद नहीं होने तथा धूप नहीं निकलने से बिचड़ा गल जाने की आशंका है. काफी नुकसान पहुंचेगा. धान रोपनी के समय खेतों में छिड़काव किये गये रसायनिक खाद भी पानी के साथ बह गया है. प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रदीप कुमार कोठरीवाल ने बताया कि दो-तीन दिनों तक पानी में डूबे रहने से बिचड़ा को ज्यादा नुकसान नहीं है. जोरिया व नदियों का जलस्तर बढ़ा, पर मसानजोर डैम का नहीं लगातार हो रही बारिश से मसानजोर डैम का जलस्तर में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. पर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों में जलस्तर बढ़ा है. जोरिया व छोटी नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है. प्रखंड क्षेत्र के सिद्धेश्वरी, बिलकी, फटीक, सालतोला, द्वारका आदि छोटी नदियों का जलस्तर बढ़ा है. रानीश्वर में चार दिनों में 108.8 मिमी बारिश रिकार्ड की गयी है. अभी भी भारी बारिश होने की संभावना है.
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