संवाददाता, दुमका. संताल परगना प्रमंडल की प्रमुख क्षेत्रीय भाषा अंगिका को झारखंड की नियोजन नीति और जेटेट (JTET) परीक्षा में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अंगिका भाषी बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है इस ज्ञापन पर डॉ रामवरण चौधरी, पूर्व विधायक कमलाकांत प्रसाद सिन्हा, अमरेन्द्र सुमन, अशोक सिंह, विद्यापति झा, मनोज कुमार घोष, दुर्गेश कुमार चौधरी, नवीन चंद्र ठाकुर, अरुण सिन्हा, अंजनी शरण, प्रभाष चंद्र ठाकुर, मो जमील अख्तर, गौतम कुमार, वंशीधर पंडित, विनोद बिहारी सारस्वत, मो मुसाफिर अंसारी, मधुर कुमार सिंह और अखिलेश कुमार झा के हस्ताक्षर हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक अंग जनपद का हिस्सा संताल परगना भी रहा है. अंग देश की भाषा अंगिका है, जो आदिकाल से बोली, पढ़ी और लिखी जाती रही है. आज भी यह व्यापक रूप से प्रचलन में है. प्रतिनिधिमंडल ने तर्क दिया कि तिलका मांझी का कार्यक्षेत्र संताल परगना रहा है और उनके सम्मान में भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम तिलका मांझी विश्वविद्यालय रखा गया, जहां अंगिका भाषा में पढ़ाई और शोध कार्य भी होते हैं. ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पूर्व में प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2007, जैक द्वारा आयोजित जेटेट 2012 व 2016 और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित वनरक्षी एवं सिपाही नियुक्ति परीक्षाओं में अंगिका भाषा से प्रश्न पूछे जाते रहे हैं. साथ ही, झारखंड सरकार द्वारा प्रकाशित गजट (असाधारण) संख्या 1084, दिनांक 10 दिसंबर 2018 के माध्यम से अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा भी प्राप्त है. ऐसे में संताल परगना की इस समृद्ध और व्यापक भाषा को जेटेट एवं नियोजन नियमावली से बाहर रखना दुर्भाग्यपूर्ण और क्षोभजनक है. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि अंगिका को पुनः नियोजन नियमावली में शामिल किया जाए, ताकि इस भाषा के युवा, बेरोजगार, छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेकर लाभ प्राप्त कर सकें.
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