काठीकुंड. काठीकुंड प्रखंड के झिकरा पंचायत में पेयजल संकट को दूर करने के लिए कई जलमीनारों का निर्माण किया गया था. न जाने कितनी जगह लाखों रुपये की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया गया था. ये जलमीनार अब केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. स्थिति यह है कि इन जलमीनारों से एक बूंद पानी भी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रही है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनार निर्माण के समय उन्हें उम्मीद थी कि अब उन्हें साफ और पर्याप्त पानी मिलेगा, लेकिन कुछ समय तक इसका लाभ मिलने के बाद तकनीकी खराबी या अन्य कारणों से इसका लाभ मिलना बंद हो गया. इन जलमीनारों से ग्रामीणों को जलापूर्ति योजना के तहत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन आवश्यक रख-रखाव के अभाव में धीरे धीरे ये जलमीनार अनुपयोगी होते जा रहे हैं. इस कारण झिकरा पंचायत के कई गांव, टोले-मोहल्ले पानी की किसी भी जरूरत के लिये नदी, तालाब, कुआं और हैंडपंप पर निर्भर हो गये हैं. इधर, भीषण गर्मी में जलस्रोत सूखने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो जायेगी. ऐसी स्थिति में पीने के लिए साफ पानी मिलना तक मुश्किल हो जाता है, जिससे बीमारी फैलने का भी खतरा बना रहता है. खैर, सरकार की योजना चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हो, जब तक उसका सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होगा, तब तक उसका लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचेगा. झिकरा पंचायत की यह स्थिति सरकारी तंत्र की असफलता को उजागर करती है. जरूरत है धरातल पर उतारे गये योजनाओं का रखरखाव सुनिश्चित करते हुए उसे लंबे समय तक उपयोगी बनाए रखने की. झिकरा पंचायत में खराब पड़े सोलर संचालित जलमीनार की बात करे तो पंचायत के केंदपहाड़ी, जलुआडुबा के दो टोला, मसनिया व मसनिया हटिया टोला, बड़ा धनियापहाड़ी गांव स्थित तीन टोले, झिकरा बस्ती टोला, बड़ा भालकी, झिकरा सरपंच टोला व भद्रा टोला, लकड़ापहाड़ी, सरसाबाद गांव के तीन टोले व केंदपहाड़ी में जलमीनार वर्तमान में उपयोगविहीन अवस्था में पड़ा हुआ है. कहीं तकनीकी कारण, कहीं बोरिंग धंस जाने जैसे कारणों को लेकर सोलर संचालित जलमीनार योजनाएं यहां पूरी तरह प्रभावित है. मुखिया अल्बिना मुर्मू ने कहा : इस संबंध में पंचायत की मुखिया अल्बिना मुर्मू ने बताया कि जहां तक हमारी जानकारी है सोलर संचालित जलमीनार जन मुखिया निधि लगाया गया था, उस वक्त संबंधित एजेंसी द्वारा जलमीनारों के पांच वर्ष तक मेंटेनेंस को लेकर राशि अग्रधन के रूप में रख ली गयी थी. वर्तमान में मेरे पंचायत के कई गांव में जलमीनार का लाभ नहीं मिल पा रहा. ऐसी स्थिति में एजेंसी द्वारा बिना जलमीनारों की मरम्मत के पंचायत किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं करेगी.
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