मत्स्यपालन में झारखंड के नवाचारों को पूरे देश ने सराहा

झारखंड में मत्स्य विभाग द्वारा पिछले कुछ सालों में किये गये नवाचारों से आ रही नीली क्रांति को इंदौर में अंतरदेशीय मत्स्यिकी एवं जलकृषि सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री के अलावा देशभर से जुटे प्रगतिशील पशुपालकों ने सराहा.

By ANAND JASWAL | June 14, 2025 5:43 PM
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संवाददाता, दुमका. मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित अंतरदेशीय मत्स्यिकी एवं जलकृषि सम्मेलन में झारखंड में मत्स्य विभाग द्वारा पिछले कुछ सालों में किये गये नवाचारों से आ रही नीली क्रांति को केंद्रीय मंत्री के अलावा देशभर से जुटे विभागीय मंत्रियों, वरीय अधिकारियों एवं प्रतिभागी प्रगतिशील पशुपालकों द्वारा सराहा गया. उदघाटन सत्र में भारत सरकार के मत्स्य, पशुपालन, गव्य विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल एवं जॉर्ज कुरियन के अलावा मध्य प्रदेश सरकार के विभागीय मंत्री नारायण सिंह पंवार, हरियाणा सरकार के मंत्री श्याम सिंह राणा, बिहार सरकार की मंत्री रेणु देवी, उत्तर प्रदेश के मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने भी शिरकत की. इन अतिथियों ने झारखंड राज्य के विडियो प्रेजेंटेशन में देखा कि कैसे हाल के वर्षों में दुमका सहित कुछ और जिलों में बंद पड़े पत्थर खदानों में जमा पानी की उपयोगिता मत्स्यपालन में बखूबी हुई और इसके बेहतर परिणाम नजर आ रहे हैं. दुमका सहित राज्य के कई जिलों में बंद पत्थर खदानों में जमा पानी का उपयोग वृहत पैमाने पर आज मत्स्यपालन के लिए हो रहा है. इसके अलावा केज कल्चर को भी स्थानीय मत्स्यपालक अपना रहे हैं. इसमें पंगाशियस के अलावा अब इंडियन कार्प जैसी प्रजाति की मछलियों का भी पालन हो रहा है, जो मत्स्यिकी विकास, मछुआरा एवं मत्स्यपालकों के सामाजिक आर्थिक उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है. अपने प्रस्तुतिकरण में झारखंड की टीम ने बताया कि राज्य में सात लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है, पर विभाग दस लाख मीट्रिक टन मछली के उत्पादन की योजना को लेकर काम कर रही है. टीम ने तालाब की खुदाई की इकाई बढ़ाने, बड़े तालाब बनवाने, बड़े बायो फ्लॉक व केज कल्चर की यूनिट को और बढ़ाने पर केंद्रीय सहायता की अपेक्षा जतायी. इस क्रम में एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड रिजर्वायर डेवलपमेंट के साथ-साथ झारखंड में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्य किसान समृद्धि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड की भी उपलब्धियों को प्रस्तुत किया गया. हजारीबाग में मोतीपालन के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई. झारखंड से विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दीक पी, निदेशक डॉ एसएन द्विवेदी एवं उप निदेशक अमरेंद्र कुमार, मोतीपालन एक्सपर्ट बुधन सिंह पूर्ति, केज कल्चर के एक्सपर्ट सुरेश नायक व महिला मत्स्य कारोबारी विनीता इस सम्मेलन में पहुंचे हुए थे.

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