संवाददाता, दुमका. जेपी सेनानी जगनारायण दास नहीं रहे. देवघर के बेलाबगान में उन्होंने शनिवार को अंतिम सांस ली. लगभग छह दशक तक वे दुमका में कुम्हारपाड़ा ठेका बाबा मंदिर के पास रहे और पिछले कुछ सालों से बेटे-पोतों के साथ देवघर में ही रह रहे थे. वे इधर कुछ दिनों से बीमार थे. वे अपने पीछे चार बेटों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं. 9 अगस्त 1942 के करो या मरो आंदोलन के दौरान ही वे सामाजिक-राजनीतिक जीवन में सक्रिय हुए और 1948 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. डॉ राममनोहर लोहिया के करीब रहकर उन्होंने सिविल नाफरमानी आंदोलन में भी भाग लिया. कई बार जेल भी गये. 1957 में ओड़िसा के संभलपुर में हीराकुंड डैम में किसानों के डूबे जमीन का मुआवजा दिलाने में भी उन्हें जेल जाना पड़ा था. एक बार दुमका में जुलूस निकाला, तो पुलिस-प्रशासन ने लाठियां चलवा दीं, हाथ भी टूट गया. कुछ दिन बेहोश रहे. पंद्रह दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहे, तब समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर व मधु लिमये उन्हें देखने दुमका आए थे. 1974 के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भी उन्होंने बुहत सक्रिय भूमिका निभायी थी और मीसा के तहत गिरफ्तार होकर भागलपुर व हजारीबाग के जेल में लंबा वक्त गुजारना पड़ा. 1972 में देवघर विधानसभा से भी उन्होंने किस्मत आजमायी थी. पर यह चुनाव उन्हें रास नहीं आया. झारखंड बनने से पहले जब झारखंड स्वायत्तशासी परिषद का गठन हुआ, तो कार्यकारी पार्षद भी वे बनाये गये थे. दुमका में रहने के दौरान वे सामाजिक-राजनीतिक विषय पर खूब मुखर रहते थे. उनके निधन पर लोगों ने शोक संवेदना प्रकट की है.
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