हिंसा को बढ़ावा देकर चुनाव में भी बनते रहे थे बाधक, विकास के कार्यों को भी किया जाता रहा था प्रभावित
आनंद जायसवाल, दुमका
नक्सल गतिविधियां थमने से तेज हुई विकास की रफ्तार
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दरअसल दुमका जैसे जिले में अस्सी के दशक में भी नक्सलवाद ने जड़े जमानी शुरू की थी, पर उसे इलाके में पोषण नहीं मिल पाया था. तब बंगाल के वीरभूम से सटे कुछ इलाके ही प्रभावित थे. तब टोंगरा जैसे थाना को बनाना पड़ा था. हालांकि उसके बाद इस पर विराम लग गया था. बाद में 2004-05 में नक्सलवाद ने जड़े जमानी शुरू की. बद्री राय जैसे लोगों ने इसकी जड़ों को सींचने का, इसे विस्तारित करने का काम किया था. बाद में एक के बाद एक हुई घटनाओं ने दुमका ही नहीं देशभर को दहलाया था. इसी जिले में पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार समेत छह पुलिस कर्मियों की हत्या नक्सलियों ने काठीकुंड में 2 जुलाई 2013 को कर दी थी. उसके बाद दुमका, गोड्डा व पाकुड़ जिले की पुलिस को एसएसबी का साथ मिला, जिसने उग्रवाद के खिलाफ अभियान चलाने में अहम भूमिका निभायी.
दुमका में बड़ी नक्सली घटनाएं
23 अप्रैल 2009: काठीकुंड के जोड़ाआम में लोकसभा चुनाव में प्रतिनियुक्त चौकीदार हरिलाल मिर्धा की हत्या
10 सितंबर 2010: काठीकुंड के तालपहाड़ी में नक्सली मुठभेड़ में जामा के तत्कालीन थाना प्रभारी सतानंद सिंह हुए शहीद.
24 अप्रैल 2014: लोकसभा चुनाव के दौरान शिकारीपाड़ा के पलासी-सरसाजोल के बीच लौट रही पोलिंग पार्टी पर हमला, पांच पुलिसकर्वी व तीन मतदानकर्मी की मौत.
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15 नवंबर 2007: रामगढ़ के कुलापाथर में बलराम पाल की हत्या कर मोटरसाइकिल जलायी.
04 सितंबर 2009: शिकारीपाड़ा के पाटोसिमल में ग्रामीण राजेंद्र भगत की हत्या.
28 फरवरी 2011: रामगढ़ के सांपडहर हटिया के पास श्रीकांत किस्कू की गला रेतकर हत्या.
10 जुलाई 2014: मसलिया के मकरमपुर में सिदपहाड़ी के हन्नान अंसारी की गोली मारकर हत्या.
15 साल में 100 नक्सली धराये, कई ने किया सरेंडर, मारा गया था ताला दा
पिछले 15 साल में केवल दुमका जिला में ही ऐसे 100 से अधिक नक्सली जेल भेजे गये, जिन्हें वारदातों में किसी न किसी रूप में संलिप्त रहने का आरोपी बताया गया था. कई जेल से सजा काटकर मुख्य धारा में लौट चुके हैं और आज सम्मान की जिंदगी जीने की शुरूआत कर चुके हैं. करीब 13 नक्सलियों ने सरेंडर भी किया था.
05 जुलाई 2009: रामगढ़ के खोडंभा में हुए मुठभेड़ में मारा गया नक्सली सोमनाथ दा, इंसास बरामद,
13 जनवरी 2019: 10 लाख का इनामी व पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या में शामिल जोनल कमांडर ताला दा मारा गया.
24 जनवरी 2020: पांच-पांच लाख का इनामी सबजोनल कमांडर राजेंद्र राय व रिमिल दा समेत तीन ने किया सरेंडर
आज ही के दिन शहीद हुए थे पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार
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