अनदेखी. ग्रामीणों की उम्मीदों पर भारी पड़ रही लापरवाही, गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है. करोड़ों रुपये की योजनाएं और निर्माण कार्य होने के बावजूद, जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही है. रानीश्वर, शिकारीपाड़ा और काठीकुंड प्रखंड के विभिन्न स्वास्थ्य उपकेंद्रों का स्थित विभागीय दावे की पोल खोलता है. कहीं भवन वर्षों से बना होने के बावजूद हैंडओवर नहीं हुआ, तो कहीं डॉक्टरों की अनुपस्थिति में बने क्वार्टर जर्जर होने की कगार पर हैं. वहीं कुछ क्षेत्रों में भवन निर्माण ही नहीं हो सका है. जिले के इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि प्रशासनिक लापरवाही, अनियोजन और जवाबदेही की कमी ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है. वर्षों से बनी इमारतों के हैंडओवर में देरी और जर्जर ढांचों की अनदेखी से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा सिरे से विफल होती नजर आ रही है. ग्रामीणों की मांग है कि स्वास्थ्य भवनों के निर्माण के साथ-साथ संचालन, स्टाफ की नियुक्ति और रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया जाये, ताकि उन्हें गांव में समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.
बांसकुली पीएचसी : जहां डॉक्टर नहीं, वहां बन रहे भवन
रानीश्वर प्रखंड के बांसकुली में पहले से ही दो मंजिला अस्पताल भवन, डॉक्टरों के लिए तीन मंजिला क्वार्टर और चहारदीवारी मौजूद है. बावजूद इसके, यहां स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गयी है. डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण क्वार्टर जर्जर हो चुके हैं. खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं. ममता वाहन बेकार होकर परिसर में जंग खा रहा है. अब पीएचसी परिसर में ही 55 लाख रुपये की लागत से नया दो मंजिला स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन बनाया जा रहा है. ग्राउंड फ्लोर पर स्वास्थ्य सेवा दी जायेगी, जबकि ऊपर स्वास्थ्यकर्मियों का आवास रहेगा. पहले उपकेंद्र के लिए एक कमरा दिया गया था, जिसमें नियमित सेवा नहीं हो पा रही थी. जयपहाड़ी, धाधका, टोंगरा, जयताड़ा और सिमलजोड़ जैसे क्षेत्रों में आज तक स्वास्थ्य उपकेंद्र भवनों का निर्माण नहीं हो सका है. ग्रामीणों का कहना है कि इलाके में पिछड़े और जरूरतमंद हैं, लेकिन प्राथमिकता बांसकुली जैसे इलाकों को दी गयी, जहां पहले से ही पीएचसी और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं.
स्वास्थ्य उपकेंद्र सरायदाहा : भवन है जर्जर, इलाज होती है परेशानी
शिकारीपाड़ा प्रखंड के सरायदाहा स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थिति बेहद दयनीय है. तीन दशक पहले बना भवन अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है. खिड़की-दरवाजे टूट चुके हैं, छत से प्लास्टर झड़ रहा है. पूरी इमारत वीरान-सी प्रतीत होती है. बिजली और पानी की कोई सुविधा यहां नहीं दिखती है. यहां कार्यरत एएनएम मेरिता मुर्मू, मेरी प्रमोदिनी मरांडी और स्वास्थ्य कर्मी स्वप्न कुमार दे को कभी आंगनबाड़ी केंद्र तो कभी किसी ग्रामीण के घर में बैठकर मरीजों का इलाज करना पड़ता है. केवल सामान्य दवाएं ही उपलब्ध हैं. थोड़े से गंभीर मामलों में मरीजों को सिउड़ी, वर्द्धमान या अन्य निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. देवानंद मिश्रा ने बताया कि भवन की जर्जर स्थिति की सूचना जिला को दी गई है और निर्माण की स्वीकृति प्रक्रिया चल रही है.
झिकरा स्वास्थ्य उपकेंद्र: भवन बन कर तैयार, अब तक हैंडओवर नहीं
काठीकुंड प्रखंड की झिकरा पंचायत में वर्षों पहले स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन का निर्माण कार्य पूरा हो गया था, लेकिन आज तक यह भवन स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं किया गया है. परिणामस्वरूप, भवन पर ताला लटका है. परिसर में झाड़ियां ऊग आयी हैं. स्थानीय ग्रामीणों की उम्मीदें भवन से जुड़ी थीं कि अब उन्हें इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन यह भवन केवल “दिखावटी ढांचा ” बनकर रह गया है. यहां कार्यरत एएनएम को स्कूल के कमरे या आंगनबाड़ी केंद्र से काम चलाना पड़ता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा बाधित है. लंबे समय से भवन के हैंडओवर नहीं होने के पीछे क्या कारण है अब यह कार्यकारी एजेंसी या संबंधित विभाग ही बेहतर बता पायेंगे. काठीकुंड के चिकित्सा प्रभारी अरविंद कुमार दास ने बताया कि भवन को अब तक विभाग को सुपुर्द नहीं किया गया. इस कारण संचालन नहीं हो पा रहा है.
रामगढ़ : स्वास्थ्य उपकेंद्र स्वीकृत नहीं, बन गये भवन
रामगढ़ की पहाड़पुर पंचायत के पहाड़पुर, लखनपुर के पोखरिया, कारुडीह के जगतपुर और भातुडिया बी पंचायत के फिटकोरिया में लाखों की लागत से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन वर्षों से बंद है. रखरखव के अभाव में जर्जर हो चुका है. भवन निर्माण विभाग ने बनाया है. इसमें स्वास्थ्य सेवाएं शुरू नहीं हुईं. इन केंद्रों में न एएनएम की नियुक्ति हुई है और न किसी स्वास्थ्य कर्मी की. खिड़की-दरवाजे टूट चुके हैं. परिसर में झाड़ियां ऊग आयी हैं. स्वास्थ्य विभाग की माने तो इन गांवों में उपकेंद्र स्वीकृत ही नहीं हैं, इसलिए न पद सृजित हुए, न ही फंड जारी हुआ. चिकित्सा प्रभारी डॉ राम प्रसाद ने बताया कि 23 उपकेंद्र संचालित हैं, जिनमें ये गांव शामिल नहीं है. इन भवनों का निर्माण किस आधार पर हुआ, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है.
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