दुमका. प्रशासनिक उदासीनता की वजह से जामा प्रखंड के आदिवासी गांव पलासबनी का भालुकसुगिया टोला पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाया है. टोला में करीब 15 घर हैं. पलासबनी गांव के ही बांध टोला में पक्की सड़क पहुची हुई है, जो भालुकसुगिया टोला से करीब एक किलोमीटर दूरी पर स्थित है. पक्की सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी हो या बरसात एंबुलेंस टोला तक नहीं पहुच पाती है. इस कारण रोगी, गर्भवती को अस्पताल जाने में परेशानी होती है. खाट के सहारे मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता है. एक किलोमीटर पैदल चलने के बाद ही एम्बुलेंस की सेवा उपलब्ध होती है. शादी-विवाह या किसी अन्य बड़ा कार्यक्रम का आयोजन होने पर छोटा चार चक्का और बड़ी गाड़ी को एक किलोमीटर दूर में रख कर पैदल जाना पड़ता है. बरसात में सायकिल, मोटरसायकिल का चलना भी मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. वर्षा में चप्पल पहनकर पैदल चला ही नहीं जा सकता है. बच्चों के शिक्षा पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. आंगनबाड़ी और स्कूल जाने में परेशानी होती है. ग्रामीणों का कहना है कि करीब 20 वर्ष पूर्व मिट्टी मोरम सड़क का निर्माण किया गया था. पुलिया बनी थी. इसके बाद सरकार, प्रशासन, पंचायत जनप्रतिनिधियों ने कोई सुधि नहीं ली. एक किलोमीटर पक्की सड़क नहीं बन पायी. जनप्रतिनिधि और प्रशासन से सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है. ग्रामीण सरकार, प्रशासन, पंचायत जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं. कहा कि जल्द सड़क नहीं बनी तो एकजुट होकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे. मौके में सचिन किस्कू, मोलिन मुर्मू, मिसिल टुडू, राम दास टुडू, रसिक सोरेन, प्रबोध सोरेन, कोलोम मुर्मू, सुनील टुडू, बहामुनी हेंब्रम, सावंती टुडू, सुनीता सोरेन, सुमित्रा हांसदा, क्यारी मुर्मू, आरोती हेंब्रम, सरिता सोरेन, मर्शिला टुडू आदि उपस्थित थे.
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