दोनों बच्चों से नाच-गान करवा कर व भीख मंगवा रहे थे उनके माता-पिता
दुमका के बाल कल्याण समिति छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले के रहनेवाले 12 वर्ष की किशोरी और उसके 10 वर्षीय भाई को विशेष टीम के साथ शनिवार की देर शाम दुमका रेलवे स्टेशन से रवाना किया. कमेटी सदस्य डॉ राज कुमार उपाध्याय ने बताया कि दोनों भाई-बहनों को दुमका रेलवे स्टेशन से 10 अप्रैल को रेस्क्यू कर रेलवे चाइल्ड हेल्प डेस्क के माध्यम से सीडब्ल्यूसी केक समक्ष प्रस्तुत किया गया था. दोनों ने समिति को बताया था कि माता-पिता उन दोनों से नाच-गान व करतब दिखवा कर पैसे कमवाते हैं. उन्हें स्कूल नहीं भेजते हैं. समिति ने बाल भिक्षावृति श्रेणी में दोनों भाई बहनों को सीएनसीपी (देखरेख और संरक्षण के जरूरत वाले बालक) घोषित करते हुए कोरबा के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (डीसीपीओ) से दोनों की सामाजिक जांच रिपोर्ट मांगी थी. इसमें बताया गया कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण ये लोग मजदूरी एवं नाच-गाना का काम करते हैं. इस कारण से बच्चे पढ़ाई छोड़कर अपने माता-पिता के साथ घूम रहे हैं. दोनों के माता-पिता और बड़े पापा उन्हें अपने साथ रखना चाहते हैं. एसआइआर के आधार पर समिति ने दुमका के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्रा को दोनों बालकों को बालगृह (बालक) श्रीमड़ा, दुमका के अधीक्षक संजू कुमार, चाइल्ड हेल्पलाइन के केस वर्कर निकू कुमार व डीसीपीयु की आउटरीच वर्कर सुनीता मरांडी के साथ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला के सीडब्ल्यूसी को सौंपने के लिए एस्कोर्ड आदेश जारी किया. इसके अनुपालन में टीम दोनों बच्चों को लेकर शनिवार की शाम गोड्डा-दुमका-रांची इंटरसिटी ट्रेन से जसीडीह रवाना हुई. वहां से दूसरे ट्रेन से कोरबा के लिए रवाना हो गयी.
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