रिंग रोड तक पहुंच गयी थी भक्तों की कतार, सुबह तीन बजे खुल गया था कपाट बासुकिनाथ. राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव के 14वें दिन बाबा फौजदारीनाथ का दरबार आस्था से सराबोर दिखा. गुरुवार को बाबा फौजदारीनाथ के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दिन हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाता है. मंदिर प्रबंधन के अनुसार 98 हजार कांवरियों ने जलार्पण किया. तीन बजे भोर मंदिर का कपाट खोला गया. भोलेनाथ की प्रभातकालीन पुरोहित पूजा के बाद कांवरिया श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट को खोल दिया गया. सुबह चार बजे से श्रद्धालु कतारबद्ध व सुरक्षित व्यवस्था के तहत नागेश का जलाभिषेक करना प्रारंभ किया. शाम पांच बजे भोलेनाथ की विश्राम पूजा के लिए कांवरियों का जलार्पण और पूजा रोक दी गयी. इस बीच बाबा नागेश की षोडशोपचार पूजन के बाद क्षणिक विश्राम के लिए बाबा मंदिर के कपाट बंद कर दिया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक का कार्यक्रम स्थगित रही. कांवरियों को बाबा के विश्राम करने तक प्रतीक्षारत रहना पड़ा. विश्राम पूजन के बाद मंदिर के कपाट पुनः खोले गये. कांवरियों ने फिर से मंदिर में जलार्पण करना शुरू किया, जो रात्रिकालीन शृंगार पूजा तक जारी रही. मंदिर परिसर व मेला क्षेत्र कांवरियों से पटा रहा. सरकारी पूजा के बाद गर्भगृह का पट कांवरियों के जलार्पण के लिए खोल दिया गया. गर्भगृह में बाबा फौजदारी पर कतारबद्ध होकर अरघा में जलार्पण किया. मंदिर परिसर बोल बम के नारे से गुंजायमान रहा. इस दौरान शिवगंगा घाट व मेला परिसर कांवरियों से पटा रहा. कतारबद्ध होकर महिला पुरुष कांवरियों ने भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की. कांवरियों की कतार रिंग रोड तक पहुंच गयी थी. मंदिर परिसर बाबा के जयकारे से गुंजायमान रहा. मंदिर प्रबंधन के अनुसार 13,505 कांवरियों ने जलार्पण काउंटर में जल डाला. श्रद्धालु एलइडी में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का दर्शन कर काउंटर पर गंगाजल अर्पित किया. काउंटर से गंगाजल पाइप लाइन द्वारा सीधे बाबा के शिवलिंग पर गिरता है. शिव मंदिर न्यास पर्षद को 19,33,211 रुपये मिले बासुकिनाथ शिव मंदिर न्यास परिषद को मंदिर प्रांगण स्थित विभिन्न स्रोतों से 19,33,211 रुपये प्राप्त हुए. मंदिर प्रांगण स्थित विभिन्न दानपेटी से 2,52,980 मंदिर गर्भगृह गोलक से 51,270 तथा अन्य स्रोतों से 8961 रुपये प्राप्त हुए. मंदिर दानपेटी व गोलक से निकले राशि की गिनती मंदिर प्रशासनिक भवन में सीसीटीवी के निगरानी में अधिकारी के समक्ष की गयी. कांवरिया प्रसाद स्वरूप सोने व चांदी के सिक्के की खरीदारी मंदिर कार्यालय से खरीद कर प्रसाद स्वरूप साथ ले जाते हैं. मंदिर में चढ़ावे में प्राप्त सोने एवं चांदी से सिक्के को बनाया जाता है. 5400 कांवरियों ने शीघ्रदर्शनम किया शीघ्रदर्शनम व्यवस्था के तहत गुरुवार को 5400 श्रद्धालुओं ने बाबा फौजदारीनाथ की सुलभ जलार्पण किया. इस व्यवस्था के तहत शिव मंदिर न्यास समिति को 16 लाख 20 हजार रुपये की आमदनी हुई. शीघ्रदर्शनम व्यवस्था के तहत कांवरियों को मंदिर कार्यालय से 300 रुपये का टोकन लेना पड़ता है, उसके बाद सिंह द्वार से श्रद्धालु को मंदिर प्रांगण में प्रवेश दिया जाता है. मंदिर प्रांगण स्थित विशेष द्वार से श्रद्धालु मंदिर गर्भगृह में प्रवेश कर सुलभ जलार्पण करते हैं. मंदिर प्रबंधन की इस व्यवस्था से कांवरिया खुश दिखे. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कर कांवरिया पुण्य के भागी बने बासुकिनाथ. सावन के पवित्र मास में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कर कांवरिया पुण्य के भागी बने. भगवान शिव को समर्पित सावन में भक्तों ने पूजा अर्चना की. भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है. सोमवार व्रत फलदायक होता है. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि भगवान शिव की उपासना करने से साधक को रोग, दोष और समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. श्रावण माह में शिव पूजा से भक्तों की संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है. श्रद्धालुओं ने सूर्यास्त के बाद शिव जी, मां पार्वती की पूजा किया. शिवलिंग पर धतूरा, भांग, बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, फूल, फल, शहद, दूध, दही आदि अर्पित कर आरती की. पंडितों ने बताया कि यह स्त्रोत भगवान शिव की स्तुति में रावण द्वारा रचित है. इसके पाठ से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. सिलीगुड़ी की कांवर मंडली ने जलार्पण किया बासुकिनाथ. श्रावणी मेला में सिलीगुड़ी की कांवर मंडली ने गुरुवार को बाबा फौजदारीनाथ का जलार्पण किया. मंदिर प्रांगण में मंडली द्वारा भव्य आरती की गयी. श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ पर जलार्पण कर सुख-समृद्धि की कामना की. भक्त राजेश सिंह, मोती सिंह, संतोष कुमार, बबलू कुमार ने बताया कि पिछले छह वर्षों से बासुकिनाथ पहुंच कर बाबा का जलार्पण करते रहे हैं. मंदिर कार्यालय से शीघ्रदर्शनम टोकन लेकर भोलेनाथ का जलार्पण किया. सुल्तानगंज उतरवाहिनी गंगा से जल लाकर पहले बैद्यनाथधाम में जलार्पण किया. इसके बाद बासुकिनाथ पहुंचकर सुगमतापूर्वक भोलेनाथ की पूजा की. भोलेनाथ दयालु हैं. वे सबकी सुनते हैं.
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