श्रावणी मेला. पहले दिन 2.04 बजे खुला था मंदिर का पट, देर शाम तक चला जलार्पण का सिलसिला
राजकीय श्रावणी मेला के पहले दिन बाबा फौजदारीनाथ दरबार में कांवरियों की भीड़ लगी रही. 2.04 बजे भोर बाबा फौजदारीनाथ का पट खोल दिया गया. अधिकारियों ने सुबह सुबह मंदिर गर्भगृह का पट खुलवाया. सरकारी पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने बाबा पर स्पर्श पूजा शुरू की. कतारबद्ध होकर श्रद्धालु कड़ी सुरक्षा के बीच बाबा पर सुबह से जलार्पण कर रहे हैं. शिव की उपासना का महीना सावन शुरू हो गया है. देवों के देव महादेव सभी का बेड़ा पार करेंगे. तीन बजे भोर से ही मंदिर प्रांगण, शिवगंगा घाट व मेला परिसर कांवरियों से पटा रहा. मंदिर प्रबंधन के अनुसार 38,925 कांवरियों ने बाबा फौजदारीनाथ पर जलार्पण कर मंगलकामना की. मंदिर परिसर बाबा के जयकारे से गुंजायमान रहा. श्रद्धालु कतारबद्ध होकर बाबा पर जलार्पण किया. सावन में भोलेनाथ का शृंगार दर्शन भी अदभूत होता है. मंदिर प्रांगण में अधिकारियों ने कांवरियों की कतार को सुचारू रूप से गर्भगृह में प्रवेश कराया. कांवरियों की श्रद्धा भक्ति व आस्था देखते ही बन रही थी. कांवरियों की कतार संस्कार मंडप, फलाहारी धर्मशाला होते हुए शिवगंगा तक सिमटी रही.
1950 कांवरियों ने किया शीघ्रदर्शनम
श्रावणी मेले में कांवरिया शीघ्रदर्शनम का टोकन लेकर सहजतापूर्वक भोलेनाथ का जलार्पण कर रहे हैं. पहला दिन शुक्रवार को 1950 कांवरियों ने 300 रुपये का रसीद कटाकर शीघ्रदर्शनम का टोकन प्राप्त किया. इस व्यवस्था से मंदिर न्यास परिषद को 5 लाख 85 हजार रुपये नकद प्राप्त हुए. मंदिर निकास गेट से दंडाधिकारी शीघ्रदर्शनम का टोकन प्राप्त कर मंदिर वीआइपी गेट से श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश कराया गया. कांवरिया गर्भगृह में सुलभ दर्शन पूजन किया. शिवभक्त मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था पर प्रसन्न दिखे.
2,285 श्रद्धालुओं ने बाह्य अरघा में डाला जल
मंदिर संकीर्तनशाला के पास बाह्य अरघा व जलार्पण काउंटर से शिवभक्त कांवरियों ने जलार्पण किया. शुक्रवार को मंदिर प्रबंधन के अनुसार 2,285 श्रद्धालुओं ने जलार्पण काउंटर का लाभ उठाया. यहां डाले गये जल सीधे पाइप द्वारा मंदिर गर्भगृह में शिवलिंग पर गिरता है.
सावन के प्रथम दिन मंदिर न्यास पर्षद को 8 लाख 42 हजार 400 रुपये की आमदनी प्राप्त हुई. मंदिर गर्भगृह गोलक से 2 लाख 57 हजार 400 रुपये नगद व 2350 ग्राम चांदी प्राप्त हुआ. वहीं सोने, चांदी के सिक्के की बिक्री व अन्य श्रोतों से मंदिर को आमदनी प्राप्त हुई.
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